जब से पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई है, तब से विभिन्न प्रकार के हानिकारक वायरस आते रहे हैं। जब-जब इन खतरनाक वाइरसों ने इंसानों को लक्ष्य बनाया है, तब-तब करोड़ों की तादात में इंसान इस धरती से साफ हो गए हैं, जो हमारे इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है।
ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है और हाल के समय में कोरोना वायरस के साथ भी यही हो रहा है। अतीत में, अन्य वायरस भी थे जो उतने ही खतरनाक थे, और उन्होंने लाखों लोगों की जान ले ली। आज हम उन टॉप 5 सबसे खतरनाक वायरस के बारे में जानेंगे जिनसे इतिहास में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।
रोटा वायरस (Rota virus)
हमारी इस “सबसे खतरनाक वायरस” की सूची में पहले नंबर पर रोटावायरस ‘Rotavirus’ का नाम आता है। रोटावायरस की खोज 1973 में रूथ बिशप (Ruth Bishop) और उनके सहयोगियों द्वारा की गई थी। 2013 में, रोटावायरस के कारण लगभग 27 लाख से भी अधिक लोग गंभीर रूप से बीमार हुए थे, जिससे दुनिया भर में 215,000 लोगों की जानें गई थीं। इस वाइरस का सबसे अधिक प्रभाव छह महीने से दो साल की आयु के बच्चों पर और बुजुर्ग वयस्कों पर हुआ था, और उनमें से अधिकांश मृत्यु विकसित देशों में हुई।
यह वाइरस शरीर में प्रवेश करने के बाद छोटी आंत की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है और गैस्ट्रोएंटेराइटिस का कारण बनता है। जिससे दस्त, बुखार, ऊर्जा की कमी, उल्टी और पेट में दर्द जैसी कई परेशानियाँ हो जाती हैं और अंत में इंसान की मौत हो जाती है। इसके अलावा, रोटावायरस जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनिया में लगभग हर बच्चा पांच साल की उम्र में कम से कम एक बार रोटावायरस से संक्रमित होता है, लेकिन हमारा इम्यून सिस्टम शरीर पर किसी भी प्रकार के संक्रमण के बाद मजबूत होता है, इसलिए बाद के संक्रमण गंभीर नहीं होते हैं।
इस वाइरस से निपटने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में रोटावायरस वैक्सीन विकसित की गई है और इस वैक्सीन के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर में काफी गिरावट आई है, लेकिन तब तक कई लाख लोगों को इस वाइरस ने प्रभावित किया था।
इंफ्लुएंजा (Influenza)
हमारी इस “सबसे खतरनाक वाइरस” की सूची में दूसरे नंबर पर इन्फ्लुएंजा का नाम आता है। इन्फ्लुएंजा, जिसे आमतौर पर “फ्लू” के नाम से जाना जाता है।
1918 से 1968 के बीच, इन्फ्लूएंजा वाइरस की वजह से तीन महामारियाँ हुईं:-
- पहली स्पेनिश इन्फ्लूएंजा 1918 में स्पेन में, जिसमें 4-5 करोड़ मौतें हुईं।
- दूसरी एशियाई इन्फ्लूएंजा 1957 में एशिया में, जिसमें 19 लाख मौतें हुईं।
- तीसरी हांगकांग इन्फ्लूएंजा 1968 में हांगकांग में, जिसमें 1 लाख मौतें हुईं।
इस वाइरस के सबसे आम लक्षण: तेज बुखार, नाक बहना, गले में खराश, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, खांसी और थकान महसूस करना और कम उम्र के बच्चों में दस्त और उल्टी का होना है।
इन्फ्लूएंजा के लक्षण संक्रमण के एक से दो दिन बाद अचानक शुरू हो जाते हैं, लेकिन बुखार भी संक्रमण की शुरुआत में सामान्य होता है, जिसमें शरीर का तापमान 37° से 39° सेल्सियस तक होता है (लगभग 100° से 103° फारेनहाइट)। ये वाइरस आमतौर पर सर्दियों में प्रसारित होता है, और इससे बहुत से लोग इतने बीमार होते हैं कि वे कई दिनों तक बिस्तर पर ही रहते हैं। इस वाइरस को खांसी या छींक के माध्यम से हवा में फैलता है।
जून 2009 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नए प्रकार के इन्फ्लूएंजा वाइरस की वजह से महामारी घोषित की थी। इस वाइरस ने इंसानों के साथ-साथ जानवरों पर भी प्रभाव डाला हैं। जिसमें सूअर, घोड़े और पक्षियों सहित कई अन्य जीव शामिल थे।
इबोला वायरस (Ebola virus)
इबोला वायरस हमारी “सबसे खतरनाक वायरस” की सूची में तीसरे नंबर पर है। इसने शुरुआत में 1976 में विभिन्न अफ्रीकी देशों में लोगो को संक्रमित किया, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोगों की मौत हो गई। इसके बाद, इसकी आधिकारिक तौर पर पहचान की गई और इसे ‘इबोला वायरस’ नाम दिया गया।
2002-2003 में, गैबॉन और कांगो गणराज्य में 1,030 जानवरों पर एक परीक्षण किया गया, जिसमें 679 चमगादड़ों में यह वायरस पाया गया। इससे यह धारणा बनी कि इबोला वायरस जानवरों से उत्पन्न हुआ है। इस वायरस का सबसे बड़ा प्रकोप दिसंबर 2013 और जनवरी 2016 के बीच पश्चिम अफ्रीका में हुआ, जिसमें कुल 28,646 मामले दर्ज किए गए और 11,323 लोगों मौतें हुईं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह वायरल बुखार बेहद खतरनाक है। हालांकि इसके लक्षण एक निश्चित समय के बाद सामने आते हैं। गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द जैसे कई लक्षण उभरते हैं और एक बार जब वायरस पकड़ लेता है, तो रोगी के शरीर में आंतरिक रक्तस्राव भी शुरू हो जाता है, जिससे अंततः दर्दनाक मौत हो जाती है। इबोला वायरस का सबसे विनाशकारी प्रभाव ताइवान में देखा गया, जहां मृत्यु दर 90% तक पहुंच गई जिसने इसे उस अवधि के दौरान सबसे भयानक वायरस के रूप में स्थापित किया।
मारबर्ग वायरस (Marburg virus)
हमारी “सबसे खतरनाक वायरस” की सूची में चौथे नंबर पर मारबर्ग वायरस का नाम आता है। यह वाइरस पहली बार जर्मन शहरों में फैला था। इस दौरान इस वाइरस से 31 लोग संक्रमित हो गए और उनमें से 7 लोगों की मृत्यु हो गई। तब जाकर 1967 में इस खतरनाक वायरस की पहचान हुई थी। मारबर्ग वायरस इंसान के संपर्क में आने पर तेज बुखार पैदा करता है जिसके कारण इंसान सदमे में आ सकता है या फिर अपाहिज हो सकता है और आखिर में उसकी मौत भी हो सकती है।
सन् 1998 से 2000 के दौरान, यह वाइरस अफ्रीका में भी पाया गया और वहां इस वाइरस से मृत्यु दर 25% प्रतिशत थी और तब विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने इस वाइरस को बेहद खतरनाक घोषित किया और इससे बचने के तमाम तरीके बताए जिससे इस वाइरस को आगे बढ़ने से रोका गया और कुछ ही समय में इस पर काबू पाया गया। आज भी इस वाइरस से खतरा है, मगर अब हमारे पास इससे बचने के उपाय भी मौजूद हैं।
चेचक (Smallpox)
हमारी “सबसे खतरनाक वायरस” की सूची में चेचक वायरस का नाम पांचवें नंबर पर है। भले ही आज के समय मे इस वायरस के कारण होने वाली मौतें न के समान हो परंतु इस वायरस ने पूरे मानव जाति के इतिहास में कोहराम मचा रखा था।
यूरोप में 18वीं शताब्दी के दौरान, इस वायरस के कारण प्रति वर्ष लगभग 400,000 व्यक्ति मारे गए, जिनमें चार शासक सम्राट और एक रानी भी शामिल थे। इसके बाद, 20वीं सदी में, इस वायरस ने वैश्विक स्तर पर लगभग 300 मिलियन व्यक्तियों की जान ले ली। इस वायरस के कारण मृत्यु दर लगभग 30% थी, यूरोप के बाहर रहने वाली आबादी में में मृत्यु दर इस से भी अथिक थी।
एक बार जब वायरस किसी व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो उसके पूरे शरीर पर बड़े-बड़े दाने विकसित हो जाते हैं। जो अंततः कुछ ही दिनों में छोटी पानी से भरी थैलियों में बदल जाते हैं। इसके बाद, व्यक्ति को सामान्य दर्द और बुखार जैसी विभिन्न समस्याओं का अनुभव होता है और कुछ ही दिनों में उसकी मृत्यु हो जाति हैं। और यदि कोई जीवित बच भी गया, तो उसके पूरे शरीर पर जीवन भर के लिए दाग रह जाते हैं।
इस वायरस से इंसान हजारों सालों से जूझ रहा था, लेकिन इसका इलाज 1977 में खोजा गया। इसके बाद 1980 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने दुनिया को चेचक वायरस से मुक्त घोषित कर दिया। हालाँकि, आज भी, व्यक्ति चिकनपॉक्स जैसे समान वायरस का शिकार होते हैं, जो चेचक के समान श्रेणी से संबंधित है। फिर भी, हमारे शरीर में अब इस प्रकार के वायरस से बचाव करने की क्षमता है, और यहां तक कि चिकनपॉक्स से पीड़ित लोग भी कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं।
निष्कर्ष – 5 सबसे खतरनाक और जानलेवा वायरस
हमारी सबसे खतरनाक वायरस की इस सूची में हमने ऐतिहासिक घटनाओं को ध्यान में रखते हुए 5 वायरस के बारे में जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि आप हमारी जानकारी से संतुष्ट होंगे। यदि इस सूची के बारे में आपके कोई प्रश्न हैं, तो कृपया नीचे कमेंट करके बेझिझक पूछें।
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