भारत के 10 प्राचीन मंदिर और उनकी अद्भुत कहानियां

हमारा देश भारत प्राचीन काल से ही भव्य मंदिरों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध रहा है। ये मंदिर केवल पूजा-पाठ की पवित्र जगहें ही नहीं हैं, बल्कि कला, शिल्पकला, इतिहास और धर्म का अद्भुत संगम भी हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर बनी मूर्तियां और नक्काशी उस समय के लोगों की अद्वितीय कल्पनाशीलता और कौशल को दर्शाती हैं। हर मंदिर की अपनी एक कहानी है, अपना एक रहस्य है।

आज की इस ब्लॉग पोस्ट में, हम ऐसे ही 10 प्राचीन मंदिरों की आभासी यात्रा पर निकलेंगे। इन मंदिरों के बारे में जानकर आप स्वयं को इनके इतिहास और रहस्यों के करीब महसूस करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं यह रोमांचक सफर, जहां हम समय के धागे को छूते हुए प्राचीन भारत की भव्यता का अनुभव करेंगे।

कैलाशनाथ मंदिर, एलोरा

महाराष्ट्र में स्थित एलोरा का कैलाशनाथ मंदिर साधारण मंदिर नहीं है, बल्कि एक आश्चर्य है! 8वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की खासियत इसकी अद्वितीय बनावट है। इसे एक विशाल चट्टान को काटकर बनाया गया है, मानो किसी पहाड़ को ही मंदिर का रूप दे दिया गया हो!

कैलाशनाथ मंदिर के निर्माण में लगभग 20 साल लगे थे। सोचिए, इतना विशाल और खूबसूरत मंदिर सिर्फ एक ही पत्थर को काटकर बनाना कितना कठिन रहा होगा! इस मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं और हिंदू धर्म की कहानियों से संबंधित उत्कृष्ट नक्काशी भी देखने को मिलती है। कैलाशनाथ मंदिर वाकई में इंजीनियरिंग और कला का एक अद्भुत नमूना है!

सोमनाथ मंदिर, गुजरात

सोमनाथ मंदिर, गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित, भारत के सबसे पवित्र और प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे बारह ज्योतिर्लिंगों में पहला माना जाता है। इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के कारण इसे ‘श्री सोमनाथ महादेव’ भी कहा जाता है।

सोमनाथ मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। माना जाता है कि इसका निर्माण मूल रूप से चंद्र देवता (चंद्रमा के देवता) ने करवाया था, और इसे कई बार पुनर्निर्मित किया गया है। इतिहास में यह मंदिर कई बार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किया गया, लेकिन हर बार इसका पुनर्निर्माण हुआ। इसके पुनर्निर्माण की गाथा भारतीय इतिहास की धरोहर है।

वर्तमान सोमनाथ मंदिर का निर्माण 1951 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के हाथों संपन्न हुआ। इस मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है और यह चौलुक्य शैली में बना हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थित है, जिसे श्रद्धालु गहरी श्रद्धा के साथ पूजते हैं।

सोमनाथ मंदिर का स्थान भी विशेष है। यह अरब सागर के किनारे स्थित है, और यहां से समुद्र की अद्भुत दृश्यावली देखने को मिलती है। इस मंदिर का एक विशेष आकर्षण इसका ध्वज है, जिसे प्रतिदिन बदलते हुए नए ध्वज से सजाया जाता है।

सोमनाथ मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। इसके अलावा, महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा जैसे पर्वों पर यहां विशेष उत्सव और मेले का आयोजन होता है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत अनुभव होता है।

अगर आप कभी गुजरात जाएं, तो सोमनाथ मंदिर के दर्शन करना न भूलें। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी भव्यता और इतिहास आपको अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेंगे।

कांचीपुरम के मंदिर, तमिलनाडु

कांचीपुरम, तमिलनाडु में स्थित, भारत के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक नगरों में से एक है। इसे “मंदिरों का शहर” भी कहा जाता है। कांचीपुरम में कई भव्य और अद्वितीय मंदिर हैं, जो अद्भुत वास्तुकला, धार्मिक महत्ता और ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ कुछ प्रमुख मंदिरों का विवरण प्रस्तुत है:

1. कैलाशनाथ मंदिर

कैलाशनाथ मंदिर कांचीपुरम के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण पल्लव वंश के राजा राजसिंह ने 8वीं शताब्दी में करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसमें उनकी कई मनमोहक मूर्तियाँ और नक्काशी हैं। इस मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की अद्वितीय मिसाल है।

2. एकाम्बरनाथर मंदिर

एकाम्बरनाथर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे पंचभूत स्थलम में से एक माना जाता है, जो पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इस मंदिर का गोपुरम (मुख्य द्वार) 11 मंजिला ऊँचा है और इसकी भव्यता देखने लायक है। यह मंदिर पल्लव और विजयनगर राजाओं द्वारा निर्मित किया गया था।

3. वरदराज पेरुमल मंदिर

वरदराज पेरुमल मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यह दिव्य देशम में से एक है। इसका निर्माण चोल वंश के राजाओं ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण 100 स्तंभों वाला मंडप है, जिसमें अद्वितीय नक्काशी और मूर्तियां हैं।

4. कामाक्षी अम्मन मंदिर

कामाक्षी अम्मन मंदिर देवी पार्वती के कामाक्षी रूप को समर्पित है। यह शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण भी पल्लव वंश के राजाओं ने 6वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर में देवी की सुंदर मूर्ति और भव्य रथ यात्रा प्रमुख आकर्षण हैं।

5. वैकुंठ पेरुमल मंदिर

वैकुंठ पेरुमल मंदिर भगवान विष्णु के वैकुंठ स्वरूप को समर्पित है। इसका निर्माण पल्लव राजा नंदिवर्मन द्वितीय ने 8वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर की दीवारों पर पल्लव काल की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया गया है और इसमें भगवान विष्णु की विभिन्न मुद्राओं में मूर्तियां हैं।

कांचीपुरम के मंदिर न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे अद्वितीय वास्तुकला और शिल्पकला के उत्कृष्ट उदाहरण भी हैं। यहां की यात्रा करते समय, आप इतिहास, संस्कृति और भक्ति के अद्भुत संगम का अनुभव करेंगे। अगर आप तमिलनाडु जाएं, तो कांचीपुरम के इन भव्य मंदिरों के दर्शन अवश्य करें।

लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर

लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर, भारत के ओडिशा राज्य की राजधानी में स्थित एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे भुवनेश्वर के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजा ययाति केशरी द्वारा बनवाया गया था।

यह मंदिर कलिंग स्थापत्य शैली का शानदार उदाहरण है और इसकी ऊँचाई लगभग 180 फीट है। मंदिर चार भागों में विभाजित है: गर्भगृह, जगमोहन, नाट्य मंडप और भोग मंडप। इसकी दीवारों और स्तंभों पर की गई सुंदर नक्काशी में देवी-देवताओं, अप्सराओं और मिथकीय जीवों की आकृतियाँ देखी जा सकती हैं।

लिंगराज मंदिर में भगवान शिव के हरिहरा रूप की पूजा होती है, जो शिव और विष्णु का संयुक्त रूप है। यहाँ का शिवलिंग ‘स्वयंभू’ माना जाता है और इसे ‘त्रिभुवनेश्वर’ के नाम से भी जाना जाता है।

महाशिवरात्रि जैसे त्योहार यहाँ बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। लिंगराज मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि अपनी अद्वितीय वास्तुकला के कारण भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

हम्पी के मंदिर, कर्नाटक

हम्पी, कर्नाटक में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है, जो अपने अद्वितीय मंदिरों और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह नगर विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था और यहाँ की संरचनाएँ 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच की हैं। हम्पी के मंदिर अपनी सुंदर नक्काशी, भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। यहाँ के कुछ प्रमुख मंदिर इस प्रकार हैं:

1. विरुपाक्ष मंदिर

विरुपाक्ष मंदिर हम्पी का सबसे पुराना और प्रमुख मंदिर है, जो भगवान शिव के एक रूप विरुपाक्ष को समर्पित है। यह मंदिर विजयवित्ता की रानी द्वारा 7वीं शताब्दी में बनवाया गया था। इसकी गगनचुंबी गोपुरम (मुख्य द्वार) और विस्तृत प्रांगण इसे एक अद्वितीय संरचना बनाते हैं।

2. विठ्ठल मंदिर

विठ्ठल मंदिर हम्पी का सबसे भव्य और विस्तृत मंदिर है, जो भगवान विठ्ठल (विष्णु का एक रूप) को समर्पित है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण इसका पत्थर का रथ है, जो एक मोनोलिथिक संरचना है। मंदिर के स्तंभों में संगीत उत्पन्न करने की क्षमता है, जिसे ‘संगीत स्तंभ’ कहते हैं।

3. हज़ार राम मंदिर

यह मंदिर रामायण के दृश्य और कहानियों को दर्शाने वाली अद्वितीय नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। हज़ार राम मंदिर विजयनगर के शाही परिवार का निजी मंदिर था और यहाँ की दीवारों पर रामायण की कहानियाँ उकेरी गई हैं।

4. अच्युतराय मंदिर

यह मंदिर भगवान तिरुवेंगला के लिए समर्पित है और इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा अच्युतराय ने करवाया था। यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और नक्काशी के लिए जाना जाता है।

5. कृष्ण मंदिर

यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसका निर्माण 1513 में राजा कृष्णदेवराय ने करवाया था। मंदिर में भगवान कृष्ण की बाल्यावस्था की मूर्तियाँ और उनके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को दर्शाने वाली नक्काशी देखने को मिलती है।

हम्पी के मंदिरों की वास्तुकला, उनकी ऐतिहासिक महत्ता और धार्मिक महत्व इन्हें भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं। यह स्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है और यहाँ हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।

कोर्णाक सूर्य मंदिर, ओडिशा

कोर्णाक सूर्य मंदिर, जिसे “ब्लैक पगोडा” भी कहा जाता है, ओडिशा के कोर्णाक में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा नरसिम्हादेव प्रथम ने करवाया था और यह भगवान सूर्य को समर्पित है।

यह मंदिर एक विशाल रथ के रूप में बनाया गया है, जिसमें बारह जोड़ी विशाल पहिये और सात घोड़े हैं, जो सूर्य देवता के रथ को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाते हैं। मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर की गई जटिल नक्काशी में देवी-देवताओं, जानवरों, योद्धाओं और दैनिक जीवन के विभिन्न दृश्यों को उकेरा गया है।

इसकी अनोखी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के कारण इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है। कोर्णाक सूर्य मंदिर की सुंदरता और भव्यता हर साल हजारों पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

मां वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू और कश्मीर

मां वैष्णो देवी मंदिर जम्मू और कश्मीर के त्रिकूट पहाड़ियों में स्थित एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है। यह मंदिर देवी वैष्णो देवी को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है।

यह मंदिर कटरा शहर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को एक कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है। मां वैष्णो देवी की गुफा में तीन पिंडियाँ हैं, जिन्हें महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती के रूप में पूजा जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, मां वैष्णो देवी ने भैरवनाथ नामक राक्षस से बचने के लिए इस गुफा को अपना निवास बनाया था और अंततः उसका वध किया। इस पवित्र स्थान पर साल भर लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, विशेषकर नवरात्रि के दौरान यहाँ बहुत भीड़ होती है।

यहाँ की यात्रा में श्रद्धालु पैदल, घोड़े, पालकी या हाल ही में शुरू की गई केबल कार के माध्यम से पहुंच सकते हैं। मां वैष्णो देवी मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है, और यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है।

श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी

श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा में स्थित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोड़गंग देव ने करवाया था।

मंदिर की स्थापत्य कला अद्वितीय है और यह 65 मीटर ऊँचा है, जिसमें एक विशाल शिखर है जो दूर से ही दिखाई देता है। मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।

श्री जगन्नाथ मंदिर का सबसे प्रमुख उत्सव रथ यात्रा है, जो हर साल आयोजित होती है और इसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस उत्सव के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विशाल रथों पर बैठाकर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। यह यात्रा लगभग तीन किलोमीटर लंबी होती है और श्रद्धालुओं द्वारा खींची जाती है।

मंदिर की एक और विशेषता है यहाँ का महाप्रसाद, जिसे भगवान को अर्पित करने के बाद भक्तों में वितरित किया जाता है। इस प्रसाद को भक्तजन बहुत पवित्र मानते हैं और इसे ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

श्री जगन्नाथ मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत व्यापक है, और यह हिंदू धर्म के चार धाम यात्रा में से एक है। यहां का वातावरण आध्यात्मिकता और भक्ति से परिपूर्ण रहता है, जो हर श्रद्धालु के मन को शांति और सुकून प्रदान करता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी

काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्रसिद्ध और प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर वाराणसी के विश्वनाथ गली में स्थित है और इसे “गोल्डन टेम्पल” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसके शिखर पर सोने की परत चढ़ी हुई है। काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है।

यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और इसका वर्तमान स्वरूप 18वीं शताब्दी में अहिल्याबाई होल्कर द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग अत्यंत पूजनीय है और इसे “विश्वेश्वर” या “विश्वनाथ” के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है “विश्व के स्वामी”। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और यहाँ हर साल लाखों भक्त भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर की पूजा विधियाँ और रीति-रिवाज बहुत ही विशिष्ट और विस्तृत हैं। यहाँ पर प्रतिदिन चार बार आरती होती है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होती है। विशेष अवसरों और त्योहारों, जैसे महाशिवरात्रि पर, यहाँ बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मंदिर परिसर का वातावरण भक्ति और श्रद्धा से परिपूर्ण रहता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व इसके अद्वितीय इतिहास और पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं इस स्थान को अपने निवास के रूप में चुना था, जिससे यह स्थल अत्यधिक पवित्र माना जाता है। यह मंदिर वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है और इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व इसे विश्वभर के हिन्दुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बनाते हैं।

ओरछा का श्री राम मंदिर, मध्य प्रदेश

ओरछा का श्री राम मंदिर, मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है और इसे राजा राम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में बुंदेला राजा मधुकर शाह द्वारा कराया गया था। यह मंदिर अपनी अनोखी स्थापत्य शैली और धार्मिक महत्व के कारण बहुत प्रसिद्ध है।

श्री राम मंदिर की एक विशेषता यह है कि इसे एक महल की तरह बनाया गया है और इसमें भगवान राम को एक राजा के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति को शाही पोशाक पहनाई जाती है और उन्हें राजसी सम्मान के साथ पूजा जाता है। मंदिर परिसर में भगवान राम के साथ माता सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।

मंदिर की स्थापत्य शैली मुगल और राजपूत वास्तुकला का एक अनोखा मिश्रण है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाता है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति स्थापित है और यहाँ पर प्रतिदिन आरती और भोग की व्यवस्था होती है। विशेष अवसरों और त्योहारों, जैसे राम नवमी और दीपावली पर, यहाँ बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

श्री राम मंदिर ओरछा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ओरछा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। यहाँ का शांत और पवित्र वातावरण हर श्रद्धालु के मन को शांति और सुकून प्रदान करता है।

मंदिर के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता और बेतवा नदी का दृश्य इसे और भी अधिक आकर्षक बनाता है। श्री राम मंदिर, ओरछा में हर साल हजारों भक्त और पर्यटक आते हैं, जो इसकी भव्यता और धार्मिक महत्व का अनुभव करते हैं।

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अभिषेक प्रताप सिंह

अभिषेक प्रताप सिंह

राम-राम सभी को मेरा नाम अभिषेक प्रताप सिंह हैं, मैं मध्य प्रदेश का रहना वाला हूँ। हिन्दीअस्त्र पर मेरी भूमिका आप सभी तक ज्ञानवान और मजेदार आर्टिकल पहुंचाना है, ताकि आपको हर दिन नई जानकारी प्राप्त हो सके।

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