Bachendri Pal Biography in Hindi: दोस्तों आपने बछेंद्री पाल के बारे में तो सुना ही होगा। बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली भारत की प्रथम महिला तथा विश्व की 5 वीं महिला हैं। इन्होने 23 मई 1984 में माउंट एवरेस्ट पर अपनी उपलब्धी का झंडा गाड़ा। वर्तमान में बछेंद्री पाल टाटा स्टील में कार्य करती हैं जहाँ वह युवाओं को माउंट क्लाइम्बिंग की ट्रेंनिंग देती हैं।
बछेंद्री पाल को 2019 में भारत के तीसरे सर्वोच्च सम्मान “पद्म भूषण” से सम्मानित किया गया। आइये हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से Bachendri Pal Biography in Hindi – बछेंद्री पाल बायोग्राफी के बारे में विस्तार से बताते हैं। आशा करते है बछेंद्री पाल की ये गौरवान्वित बायोग्राफी आपको पसंद आएगी।
बछेंद्री पाल की जीवनी | Bachendri Pal Biography in Hindi
बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को वर्तमान उत्तराखंड के नकुरी गावं में हुआ था। वह आपने माता-पिता हंसा देवी तथा श्री कृष्ण सिंह पाल के 5 बच्चो में से एक थीं। इनके पिता की किराने की दूकान थी। ग्रामीण परिवार में जन्मी बछेंद्री पाल ने अत्यंत कठिनाइयों का सामना किया। बचपन से ही जिद्दी स्वभाव की थीं। उस समय गावं में लड़कियों को पढ़ाने का प्रचलन नहीं था। बछेंद्री पाल ने ठान लिया था की मुझे पढ़ना है और वो घर पर ही स्वयं पढ़ने लगी।
Bachendri Pal Short Biography in Hindi
नाम | बछेंद्री पाल |
पेशा | पर्वतारोही |
जन्म | 24 मई 1954 |
जन्मदिन | 24 मई |
जन्म स्थान | नकुरी उत्तराखंड |
आयु | 67 वर्ष (2022 के अनुसार) |
हाइट | ज्ञात नहीं |
वेट | ज्ञात नहीं |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शैक्षिक योग्यता | परास्नातक (बी.ए, एम.ए, बी.एड) |
पिता का नाम | श्री कृष्ण सिंह पाल |
माता का नाम | हंसा देवी |
पति का नाम | कोई नहीं |
माउंट एवरेस्ट फतह करने का दिन | 23 मई 1984 |
बछेंद्री पाल की शिक्षा
पहाड़ों की गोद में जन्मी बछेंद्री पाल ने अपनी शुरुआती पढाई में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री हांसिल करने के पश्चात् डी. ए. वी. परास्नातक कॉलेज देहरादून से संस्कृत में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हांसिल की तथा शिक्षक की नौकरी हांसिल करने के लिए वहीँ से बी.एड की डिग्री भी हांसिल की।
बछेंद्री पाल ने 12 वर्ष की उम्र से ही माउंट क्लाइम्बिंग शुरू कर दी थी। एक स्कूल पिकनिक के दौरान अपने दोस्तों के साथ 3,999.9 मीटर ऊँची चोटी पर चढ़ाई की थी। इनके स्कूल के प्रधानाध्यापक के अनुरोध पर इनके माता-पिता ने इनका एडमिशन नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में करवाया। जहां शिक्षा के दौरान माउंट गंगोत्री 23,419 फीट (7,138.1 मीटर) और रुद्रगरिया पर्वत 19,091 फीट (5,818.9 मीटर) पर चढ़ाई करने वाली प्रथम महिला बन गईं।
बछेंद्री पाल का इतिहास
एक शिक्षक बनने की जगह एक पर्वतारोही का करियर चुनने के कारण बछेंद्री पाल को शुरुआत में अपने परिवार वालों के काफी विरोध सहना पड़ा। किन्तु शुरुआत में ही माउंट गंगोत्र, रुद्रगरिया पर्वत जैसे चोटियों पर चढ़ाई में मिला सफलता के कारण नेशनल एडवेंचर फाउंडेशन में ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने बतौर इंस्ट्रक्टर नियुक्त किया।
वर्ष 1984 में माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ाई के लिए 6 महिला तथा 11 पुरुषों की एक टीम बनाई गई। इस टीम का नाम एवेरस्ट 84 था। इस टीम में चुनी गईं 6 महिलाओं में बछेंद्री पाल एक मात्र भारतीय महिला थीं।
मार्च 1984 में टीम को काठमांडू भेजा गया जहाँ से टीम माउंट एवेरेस्ट की चढ़ाई के लिए आगे बढ़ी। टीम ने चढ़ाई शुरू की। मई 1984 में उनकी टीम लगभग आपदा से घिर गई थी। हिमस्खलन के कारण टीम के सदस्यों को गंभीर छोटे आईं तथा टीम के कई सदस्य वापस लौट गए।
बछेंद्री पाल बतातीं हैं “मैं कैंप 3 में अपने साथियों के साथ 24,000 फीट (7,315.2 मीटर) की ऊंचाई पर एक टेंट में सो रही थी रात 12:30 पर मैं जाएगी किसी चीज़ ने मुझे जोर से मारा। इसके तुरंत बाद मैंने खुद को एक ठन्डे पदार्थ के ढेर में गिरा पाया”
22 मई 1984 को आंग दोर्जे और कुछ अन्य पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ने के लिए टीम में शामिल हुए। बछेंद्री पाल इस समूह में एक मात्र महिला थीं। वे साऊथ कोल पहुंचे और वहां 26,000 फीट (7,924.8 मीटर) की ऊंचाई पर कैंप 4 में रात बिताई।
23 मई 1984 को सुबह 6:20 बजे उन्होंने जमे हुए बर्फ की कड़ी चादरों पर चढ़ते हुए चढ़ाई जारी रखी। लगभग 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से ठंडी हवाएं चल रही थीं तापमान −30 से −40°C को छू रहा था। 23 मई 1984 को दोपहर 1:07 पर टीम माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंची और बछेंद्री पाल ने इतिहास रच दिया। अपनी इस उपलब्धि के कुछ समय पश्चात् बछेंद्री पाल ने एक महिला टीम का सफल नेतृत्व भी किया।
इसके अलावा बछेंद्री पाल ने वर्ष 1994 में गंगा नदी में लगभग 2500 किमी हरिद्वार से कलकत्ता तक नौका अभियान का नेतृत्व किया। और भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए काराकोरम पर्वत शृंखला तक लगभग 4000 किमी लम्बा अभियान भी पूरा किया।
Bachendri Pal Awards
बछेंद्री पाल ने 23 मई 1984 को Mount Everest फतह करने वाली प्रथम महिला बन एक इतिहास रचा। उन्हें अपने इन साहसिक कार्यों के लिए कई तरह के पुरस्कार से नवाजा गया। 2019 भारत के तीसरे सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा 1990 में बछेंद्री पाल का नाम गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।
1984 | इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन | गोल्ड मेडल फॉर एक्सीलेंस इन माउंटेनियरिंग |
1984 | रिपब्लिक ऑफ़ इंडिया | पद्म श्री |
1985 | गोवेर्मेंट ऑफ़ उत्तर प्रदेश | गोल्ड मेडल |
1986 | गोवेर्मेंट ऑफ़ इंडिया | अर्जुन पुरस्कार |
1994 | गोवेर्मेंट इंडिया | नेशनल एडवेंचर अवार्ड |
1995 | गोवेर्मेंट ऑफ़ उत्तर प्रदेश | यश भारती अवार्ड |
2014 | मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर मध्य प्रदेश | लक्ष्मीबाई राष्ट्रिय सम्मान |
2019 | रिपब्लिक ऑफ़ इंडिया | पद्म भूषण |
FAQ Related to Bachendri Pal in Hindi
बछेंद्री पाल एक पर्वतारोही हैं तथा वह माउंट एवेरेस्ट को फतह करने वाली प्रथम भारतीय महिला तथा विश्व की 5 वीं महिला हैं।
बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को वर्तमान उत्तराखंड के नकुरी गावं में हुआ था।
बछेंद्री पाल ने 12 वर्ष की आयु से ही माउंटेन क्लाइम्बिंग शुरू कर दी थी।
हाँ, बछेंद्री पाल अभी जीवित हैं।
छेंद्री पाल को 1984 में पद्म श्री से तथा 2019 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
बछेंद्री पाल के पति के बारे में कोई जानकारी नहीं प्राप्त है।
श्री कृष्ण सिंह पाल
हंसा देवी
23 मई 1984
आज आपने क्या सीखा?
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