भारत के विशाल मैदानों में विचरण करने वाला दूधराज, जिसे “सुल्ताना बुलबुल” या “एशियाई दिव्यलोकी कीटमार (Indian Paradise Flycatcher)” भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश का राजकीय पक्षी है। यह भव्य पक्षी अपनी भव्यता और दुर्लभता के लिए जाना जाता है।
भारत के अलावा यह श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में भी पाया जाता है। इस अद्वितीय पक्षी का नाम सुनते ही मन में एक रहस्यमय और सुंदर छवि उभरती है।
दूधराज न केवल अपनी खूबसूरती के लिए बल्कि अपने दिलचस्प व्यवहार और जीवंत जीवनशैली के लिए भी जाना जाता है। भारत की वनस्पति और जीवजंतुओं में दूधराज का एक विशेष स्थान है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम दूधराज के बारे में 21 रोचक तथ्यों का पता लगाएंगे, जो आपको इस अद्भुत पक्षी के बारे में अधिक जानने में मदद करेंगे।
दूधराज पक्षी के बारे में 21 आकर्षक तथ्य
- सबसे पहले, हम जानेंगे कि इस पक्षी का वैज्ञानिक नाम “Terpsiphone paradisi” है।
- दूधराज नाम हिंदी शब्द “दूध” और “राज” से आया है, जो क्रमशः “दूध” और “राजा” का अर्थ है। यह नाम नर के सफेद पंखों को दर्शाता है, जो दूध की तरह चमकदार होते हैं।
- यह पक्षी मुख्यतः तीन रंगों में पाया जाता है: दूधिया सफेद, काले, और लाल भूरे रंग में।
- दूधराज की पूंछ इस बात का निर्धारण करती है कि यह नर है या मादा। नर दूधराज की पूंछ मादा की तुलना में लंबी होती है, और इसकी आंखें काली होती हैं, जिनके पास गहरे काले नीले रंग की रिंग पाई जाती है।
- इस पक्षी को उसके दूसरे नाम “सुल्ताना बुलबुल” के नाम से भी जाना जाता है।
- जब यह पक्षी छोटा होता है, तब नर का रंग मादा के जैसा होता है, लेकिन बड़े होने के साथ उनके रंग में परिवर्तन हो जाता है।
- दूधराज एक शांत और चंचल स्वभाव का पक्षी है, जो ज्यादातर तालाबों, गुफाओं, सरोवरों, नदियों और मैदानों में दिखाई देता है।
- यह पक्षी अपना घोंसला छिपे स्थानों पर बनाता है।
- सन् 1985 में इस पक्षी को मध्य प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया था।
- भारत में ये पक्षी मध्य प्रदेश के अलावा हिमालय प्रदेश, पंजाब और बिहार में भी पाए जाते हैं।
- इस पक्षी की लंबाई करीब 18 से 22 सेंटीमीटर होती है, जबकि इसके पंखों का फैलाव 85 से 92 सेंटीमीटर होता है।
- मादा दूधराज की पूंछ नर की तुलना में छोटी होती है।
- यह पक्षी सबसे ज्यादा घने जंगलों में रहना पसंद करता है और इसका भोजन छोटे-छोटे कीट-पतंगे, तितलियाँ, और मक्खियाँ होते हैं।
- इस पक्षी की आवाज़ “चे चे” या “ज्वीट ज्वीट” होती है।
- दूधराज का प्रजनन काल मार्च से जुलाई के बीच होता है।
- घोंसला बनाने के लिए यह पक्षी घास के तिनकों और टहनियों का इस्तेमाल करता है, और नर और मादा दोनों मिलकर घोंसला बनाते हैं।
- मादा दूधराज करीब तीन से पाँच अंडे देती है, और वह करीब 18 दिनों तक अंडों को सेती है।
- यह पक्षी सारस की तरह ही जीवन भर एक ही जोड़ा बनाकर रहते है।
- इस पक्षी की पूंछ से आप इन्हें आसानी से पहचान सकते हैं।
- भारत के अलावा यह पक्षी श्रीलंका, तुर्किस्तान, और मलेशिया में भी पाया जाता है।
- यह एक प्रवासी पक्षी है, जो सर्दियों के दौरान अपना ज्यादातर समय उष्णकटिबंधीय जंगलों में बिताता है।
- दूधराज का वजन करीब 20 ग्राम होता है।
- इस पक्षी का जीवनकाल लगभग 6 साल होता है।
इस पोस्ट से आपने क्या सीखा?
दूधराज वाकई में एक आकर्षक पक्षी है, जिसके बारे में जानना रोचक है। उनके चमकदार रंग, लंबी पूंछें और दिलचस्प व्यवहार उन्हें खास बनाते हैं। यह जानकर गर्व होता है कि दूधराज मध्य प्रदेश का राज्य पक्षी भी है।
हालांकि, दूधराज निवास स्थान के नुकसान और कीटनाशकों के उपयोग से खतरे में हैं। इन खूबसूरत पक्षियों के संरक्षण के लिए हमें उनके आवासों की रक्षा करने और पर्यावरण के प्रति सजग रहने का प्रयास करना चाहिए।
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने दूधराज के बारे में 21 रोचक तथ्य साझा किए। आपको यह जानकारी ज्ञानवर्धक लगी होगी। अगर आपके पास दूधराज के बारे में कोई और जानकारी है या आप अपना कोई अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहते हैं, तो तो कृपया नीचे कमेंट्स में लिखें।