करेले का जूस और इसके औषधीय गुण भारतीय होम्योपैथी में भी मान्य हैं, और इसलिए “मोमर्डिका कैरन्शिया (Momordica charantia)” होम्योपैथिक औषधि का मुख्य तत्व करेला ही है। हरा करेला पके हुए सफेद या पीले करेले की तुलना में अधिक लाभकारी होता है, इसलिए हमेशा हरे करेले का उपयोग करना चाहिए। इसके बेहतरीन स्वास्थ्य वर्धक गुणों के अलावा, इसे सुखाकर रखने पर भी इसके औषधीय गुण नष्ट नहीं होते हैं।
करेले की प्रकृति गर्म और शुष्क होती है। करेला दो प्रकार का होता है: बड़ा करेला और छोटा करेला। छोटे करेले को बड़े करेले की तुलना में अधिक गुणकारी माना जाता है। कच्चा, हरा और छोटे आकार का करेला अधिक गुणकारी होता है, इसलिए जूस या सब्जी बनाने के लिए इसका उपयोग करना चाहिए। करेला भूख बढ़ाने और पाचनशक्ति को सुधारने में मदद करता है।
ऑफ-सीजन में जब करेला उपलब्ध न हो, तब आप होम्योपैथिक औषधि मोमर्डिका कैरन्शिया (Momordica charantia) का प्रयोग कर सकते हैं। यह आपको करेले के समान लाभ प्रदान करेगा। आज की पोस्ट में हम आपको करेले के जूस के फायदे बताएंगे।
करेले के जूस के 21 स्वास्थ्य लाभ (औषधीय गुण)
करेले को प्राकृतिक रूप में ही खाना चाहिए, इसमें किसी प्रकार की अन्य चीज मिलाने से इसके सभी गुणों का लाभ नहीं मिलता है। कई लोग करेले का कड़वापन दूर करने के लिए इसे छीलकर, काटकर, नमक लगाकर धोकर खाने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार से खाए जाने वाले करेले के सभी गुण नष्ट हो जाते हैं। करेले का कड़वापन ही रोगों को दूर भगाता है और मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक होता है।
- करेले में फास्फोरस काफी मात्रा में पाया जाता है, जो दांत, मस्तिष्क, हड्डियों, रक्त और अन्य शारीरिक अंगों के लिए आवश्यक फास्फोरस की पूर्ति करता है।
- करेला का रस दर्द को दूर करता है और शरीर में शक्ति पैदा करता है। करेले के जूस को खाली पेट पीना अधिक लाभदायक है ताकि यह शरीर द्वारा अच्छी तरह से सोख लिया जाए।
- यदि आपको खांसी, कफ, या गले में खराश की समस्या हो, तो बिना घी या तेल से बनी करेले की सब्जी खाएं। आप स्वाद के अनुसार इसमें सेंधा नमक और पिसी काली मिर्च भी डाल सकते हैं।
- करेला का जूस कफ, पीलिया, मधुमेह, और बुखार आदि रोगों में लाभदायक है। साथ ही यह रक्त को साफ करता है।
- करेले का जूस संक्रमण को दूर करता है और शरीर में गर्मी बढ़ाता है।
- जोड़ों में दर्द हो तो करेले के पत्तों के जूस या करेले के जूस से मालिश करें। करेले की चटनी पीसकर गठिया के सूजन पर लेप करें, इससे जल्द ही आराम मिलेगा।
- त्वचा के रोगों में करेले की सब्जी नियमित खाने से लाभ होता है।
- त्वचा में खुजली होने पर रक्त में अम्लता की मात्रा ज्यादा हो जाती है, ऐसे में करेले के जूस में पानी मिलाकर पीने से खुजली ठीक होती है।
- रक्त शोधक के रूप में 60 ग्राम करेले के जूस में थोड़ा सा पानी मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से शरीर का दूषित रक्त साफ हो जाता है। इससे पाचनशक्ति और यकृत की शक्ति बढ़ती है।
- करेले के पत्तों को धोकर छोटे-छोटे टुकड़े करके एक गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर इसे छान कर पीने से रक्त साफ होता है।
- पैरों में जलन होने पर करेले के पत्तों के जूस की मालिश करने से लाभ होता है। इसके लिए आप करेले के जूस का भी उपयोग कर सकते हैं। करेले के जूस या पीसे हुए करेले का जले हुए स्थान पर लेप करने से जलन शांत हो जाती है। तलवों की जलन पर लगाने से भी लाभ होता है।
- एसिडिटी में आधा कप करेले के जूस को चौथाई कप पानी में एक चम्मच पिसा हुआ आंवला पाउडर मिलाकर रोजाना तीन बार पीने से लाभ होता है।
- सूजन में आधा कप करेले का रस, चौथाई चम्मच पिसी हुई सोंठ, और थोड़ा सा पानी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से सूजन ठीक हो जाती है।
- गले में सूजन में सूखा करेला सिरके में पीसकर गर्म करके गले पर लेप करने से सूजन मिट जाती है।
- मुंह के छाले होने पर एक गिलास पानी में आधा कप करेले का जूस लेकर उसमें थोड़ा सा फिटकरी मिलाकर रोजाना दो बार कुल्ला करने से छाले ठीक हो जाते हैं। एक चम्मच जूस में थोड़ी सी चीनी मिलाकर चार बार पियें।
- मोटापे में आधा कप करेले का रस, आधा कप पानी में मिलाकर उसमें एक नींबू निचोड़कर प्रातः खाली पेट पीते रहने से वजन कम होता है।
- कब्ज़ में करेला फायदा करता है। करेले का होम्योपैथिक अर्क, जिसे “मोमर्डिका कैरन्शिया” कहा जाता है, 10 बूंद चार चम्मच पानी में मिलाकर प्रतिदिन चार बार लेने से कब्ज़ दूर होती है।
- अर्श रोग में करेले के जूस को 5-8 ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें थोड़ी सी चीनी मिलाकर लेने से अर्श रोग में होने वाला रक्तस्राव रुक जाता है। करेले की जड़ को घिसकर मस्सों पर लगाने से राहत मिलती है।
- करेले के जूस में काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर दोपहर के खाने के साथ पीने से पेट के लगभग सभी रोगों से मुक्ति मिलती है। प्लीहा बढ़ने की समस्या होने पर एक कप करेले का जूस पीने से लाभ होता है।
- अस्थमा के रोगियों को करेले की सब्जी नियमित रूप से खाने से लाभ मिलता है।
- करेले का जूस लिवर की समस्याओं में भी सहायक है। इसका नियमित सेवन लिवर को मजबूत बनाता है और इसके कार्य को सुधारता है।
- करेले का जूस पीने से बालों की समस्याएं भी कम होती हैं। यह बालों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है।
इन सभी लाभों को ध्यान में रखते हुए, हम ये कह सकते है की करेले का सेवन प्राकृतिक रूप में करना चाहिए और इसके कड़वेपन से घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि यही कड़वापन इसके औषधीय गुणों का आधार है।
करेले का जूस बनाने की विधि
करेले का जूस बनाना बहुत ही आसान है। सबसे पहले हरे-भरे करेले लें और उनके बीज निकाल दें। फिर इन्हें जूसर में डालकर जूस निकाल लें। जूस छानने के लिए आप बड़े छेदों वाली छलनी का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा करेले के रेशे जूस में मिल जाएं।
अब आप इस जूस को कितना पीना चाहते हैं? मैं आपको सुझाव देता हूं कि दिन में दो बार, एक-एक गिलास (200 मि.ली.) की मात्रा में पीना बहुत फायदेमंद होगा। हर बार ताजा जूस पीना ज्यादा अच्छा होता है। अगर आप चाहें तो इसमें नींबू, सेंधा नमक और काली मिर्च भी डाल सकते हैं, ताकि स्वाद और बेहतर हो जाए।
इस पोस्ट से आपने क्या सीखा
करेला, जिसे हम अपने भोजन में अक्सर नज़रअंदाज कर देते हैं, वास्तव में स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसके कड़वेपन के बावजूद, इसके औषधीय गुणों की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता। करेले का सेवन करने से कई गंभीर बीमारियों जैसे मधुमेह, पाचन संबंधी समस्याएं, और त्वचा के रोगों से बचाव होता है।
इसका नियमित उपयोग आपके शरीर को अंदर से साफ करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसलिए, अपनी दैनिक आहार में करेले को शामिल करें और इसके अविश्वसनीय स्वास्थ्य लाभों का आनंद उठाएं। याद रखें, करेले का कड़वापन ही इसके औषधीय गुणों का मूल है, इसलिए इसे प्राकृतिक रूप में सेवन करना ही सबसे अधिक फायदेमंद है।
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यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे चिकित्सा परामर्श, निदान या उपचार के विकल्प के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें। करेला या किसी भी स्वास्थ्य उत्पाद का उपयोग करने से पहले एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।