पवनमुक्तासन क्या है और पवनमुक्तासन के फायदे, विधि और सावधानियां

पवनमुक्तासन करना जितना आसान है, उतने ही अधिक इसके लाभ हैं। जो व्यक्ति कब्ज एवं पाचन संबंधित बीमारियों से परेशान हैं, उनके लिए पवनमुक्तासन (Pawanmuktasana in Hindi) वरदान साबित हो सकता है। चाहे वह किसी भी उम्र का व्यक्ति (बूढ़ा, जवान, बच्चा, महिला) हो।

योग में कई प्रकार के आसन बताए गए हैं और उनके अलग-अलग लाभ भी बताए गए हैं। आप अपनी जरूरत एवं सुविधा के अनुसार कुछ योगासनों के नियमित अभ्यास करके स्वस्थ एवं फिट रह सकते हैं।

इस लेख में पवनमुक्तासन के प्रकार, करने की विधि, फायदे एवं इसे करते समय ध्यान देने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि पवनमुक्तासन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें नीचे बताई गई हैं।

पवनमुक्तासन क्या है? (Pavanamuktasana in Hindi)

पवनमुक्तासन लेट कर की जाने वाली एक सरल योगिक क्रिया है। पवन + मुक्त + आसन = पवनमुक्तासन, पवन का अर्थ हवा या वायु, मुक्त का अर्थ बाहर निकालना या छोड़ देना, और आसन का अर्थ मुद्रा या स्थिति होता है। अर्थात, पवनमुक्तासन का अर्थ वायु को बाहर निकालना या छोड़ना है।

यह एक ऐसा आसन है जिसे करने से वायु (अपान वायु) तत्काल बाहर हो जाती है। इस आसन को कहीं-कहीं सुप्त पवनमुक्तासन के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन को जब भी करें, खाली पेट में ही करें।

पवनमुक्तासन के प्रकार

यहां पवनमुक्तासन के चार प्रकार बताए गए हैं। आप चाहें तो इनमें से एक या दो को, या सभी को नियमित अभ्यास में शामिल कर सकते हैं। यह आपकी सुविधा के अनुसार बताया गया है:

  • एक पाद पवनमुक्तासन
  • पूर्ण पवनमुक्तासन (द्वी पाद पवनमुक्तासन)
  • लुढ़कन पवनमुक्तासन
  • गतिमय पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन कैसे करें? (How To Do Pawanmuktasana)

चारों प्रकार के पवनमुक्तासन को करने की अलग-अलग विधि बताई गई हैं, जिन्हें नीचे उनके नाम के साथ बताया गया है।

How To Do Pawanmuktasana
पवनमुक्तासन कैसे करें?

एक पाद पवनमुक्तासन करने की विधि

  1. सबसे पहले किसी नरम गद्देदार चटाई पर पीठ के बल (शवासन में) लेट जाएं।
  2. अब दाएं पैर को घुटने से मोड़कर जांघ को छाती से स्पर्श कराने की कोशिश करें।
  3. दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर दाएं घुटने के ऊपर से पकड़ लें (जैसा कि ऊपर चित्र में दिखाया गया है)।
  4. अब सांस छोड़ते हुए दाहिने पैर को दोनों हाथों की मदद से दबाकर छाती से सटाएं और सिर को उठाते हुए नाक से दाएं घुटने को स्पर्श करें।
  5. इस स्थिति में अपनी क्षमता अनुसार या 20 से 30 सेकंड तक रुकें।
  6. हाथों का दबाव छोड़ते हुए मूल अवस्था में वापस आएं।
  7. इस क्रिया को अब बाएं पैर से करें।
  8. इस प्रकार आसन की एक आवृत्ति पूर्ण होती है। इसे आप तीन से चार बार दोहरा सकते हैं।

पूर्ण पवनमुक्तासन करने की विधि

  1. सबसे पहले किसी नरम चटाई पर पीठ के बल शवासन में लेट जाएं।
  2. अब दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए जांघ को छाती से स्पर्श कराने की कोशिश करें।
  3. पैरों के ऊपर से दोनों हाथों को लपेट लें और एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई को पकड़ लें (जैसा कि चित्र में दिखाया गया है)।
  4. सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों से पैरों पर दबाव बनाकर जांघ को छाती से सटाएं और सिर को ऊपर उठाते हुए नाक को घुटने से स्पर्श कराएं।
  5. इस पूर्ण स्थिति में अपनी क्षमता अनुसार या 20 से 30 सेकंड तक रुकें।
  6. हाथ का दबाव छोड़ते हुए मूल अवस्था में वापस आएं।
  7. थोड़ी देर आराम करें और इस क्रिया को पुनः दोहराएं। इसे तीन से चार बार करें।

लुढ़कन पवनमुक्तासन करने की विधि

  1. ऊपर बताए गए विधि के अनुसार पूर्ण पवनमुक्तासन में आ जाएं।
  2. पूर्ण पवनमुक्तासन से ही सबसे पहले बाईं तरफ लुढ़कें, जिससे बाएं कान, बाएं कंधा, बाएं घुटना एवं संपूर्ण बायां अंग जमीन से स्पर्श करने की कोशिश करें।
  3. वापस मूल अवस्था में आएं।
  4. अब दाईं तरफ लुढ़कें और मूल अवस्था में वापस आएं।
  5. इस प्रकार एक आवृत्ति पूर्ण होती है। इस क्रिया को 10 से 15 बार दोहराएं।

गतिमय पवनमुक्तासन करने की विधि

  1. ऊपर बताए गए विधि के अनुसार पूर्ण पवनमुक्तासन में आ जाएं।
  2. इसी स्थिति से आगे की ओर गति करते हुए उकड़ू बैठ जाएं।
  3. यहां से हाथ को छोड़ते हुए सीधा खड़ा हो जाएं।
  4. पुनः उकड़ू बैठ जाएं और हाथ को पहले की स्थिति में फंसाते हुए पूर्ण पवनमुक्तासन में लेट जाएं।
  5. इसे करते समय साधारण श्वसन क्रिया करें।
  6. इस प्रकार एक आवृत्ति पूर्ण होती है। इसे आप चाहे तो 10 से 15 बार कर सकते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो इस आसन का अभ्यास करने से पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह लें।

पवनमुक्तासन करने कि प्रक्रिया

पवनमुक्तासन के फायदे (लाभ)

  • यह आसन कब्ज के रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
  • उदर विकार के कारण होने वाले सिर दर्द में भी लाभदायक है।
  • पाचन शक्ति को मजबूत कर पाचन क्रिया में सुधार करता है।
  • पेट की चर्बी को कम करने में सहायक माना जाता है।
  • मोटापा दूर करने में भी सहायक है।
  • मेरुदंड को लचीला बनाता है।
  • मल त्याग की कठिनाइयों से परेशान व्यक्तियों के लिए लाभदायक है।
  • शरीर को सुडौल एवं छरहरा बनाता है।
  • हृदय विकार को दूर करता है।
  • अपान वायु उधरमुखी हो जाने के कारण मस्तिष्क विकार से परेशान व्यक्तियों के लिए लाभदायक है।
  • ओज में वृद्धि होती है।
  • श्वसन संबंधित विकार में लाभकारी है।
  • मेरुदंड को सशक्त बनाता है।
  • जिन व्यक्तियों को ज्यादा गैस बनती है, उन्हें इस आसन को करने से तत्काल गैस बाहर निकल जाती है।
  • असमय बालों को झड़ने से रोकता है।
  • चेहरे की चमक बढ़ाता है।

पवनमुक्तासन करते समय सावधानियां

पवनमुक्तासन के फायदे (pawanmuktasana benefits in hindi) और विधि जानने के बाद, आपको इस आसन की कुछ सावधानियां भी अवश्य पता होनी चाहिए। जिससे आप इसके नुकसान से बच सके।

  1. अधिक उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति इस आसन को न करें।
  2. अल्सर या हर्निया से परेशान व्यक्ति इस आसन को न करें। यदि करते हैं तो किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही करें।
  3. मेरुदंड में गंभीर विकार हो तो इस आसन को न करें।
  4. कमर दर्द या घुटने दर्द से परेशान व्यक्ति इस आसन को करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। अन्यथा न करें।
  5. इस आसन को करते समय विशेष सावधानियां बरतें क्योंकि मेरुदंड पर अधिक दबाव पड़ता है।
  6. इस आसन को किसी गद्देदार कंबल या चटाई पर ही करें क्योंकि इससे रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ता है।

पवनमुक्तासन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें और टिप्स एण्ड ट्रिक्स

  1. जिस व्यक्ति को गर्दन या गले संबंधित विकार या दर्द है, वे नाक को घुटने से स्पर्श न करें।
  2. पवनमुक्तासन करने से पहले बालासन, जानू शीर्षासन, मर्कटासन, मर्जरी आसन इत्यादि जरूर करें।
  3. पवनमुक्तासन करने के बाद शवासन या मकरासन जरूर करें।
  4. इस आसन को जब भी करें, खाली पेट में ही करें।
  5. किसी भी योगासन को सुबह नित्य क्रिया करने के बाद करना ज्यादा उचित एवं फायदेमंद होता है।
  6. जिस व्यक्ति को सुबह समय नहीं मिलता है, वह शाम को खाली पेट में कर सकते हैं।

पवनमुक्तासन से जुड़े कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)

पवनमुक्तासन
जो व्यक्ति कब्ज एवं पाचन संबंधित बीमारियों से परेशान हैं, उनके लिए पवनमुक्तासन वरदान साबित हो सकता है।

पवनमुक्तासन करने के क्या नुकसान है?

पवनमुक्तासन योगासनों में एक लाभदायक आसन है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद होता है। पवनमुक्तासन का किसी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं है।

यदि आप सही विधि व ऊपर बताई गई सावधानियों के साथ इसका अभ्यास करेंगे तो आपको किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी। कमर दर्द, पेट दर्द, छाती दर्द, गर्दन दर्द व पैरों के दर्द में इसका अभ्यास न करें।

पवनमुक्तासन किसे नहीं करना चाहिए?

यदि आपको उच्च रक्त-चाप, दिल की बीमारी, हर्निया, हैपेरिसिडिटी, मासिक धर्म, गर्दन या कमर की कोई भी समस्या है तो यह आसन न करें। गर्भावस्ता के तीसरे महीने के बाद भी यह आसन न करें।

पवनमुक्तासन कितनी देर और कब करना चाहिए?

पवनमुक्तासन में 15 सेकंड से लेकर 45 सेकंड तक रुकने की कोशिश करें। शरीर के साथ कोई जोर-जबरदस्ती न करें, अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही इस आसन में रुकें।

पवनमुक्तासन का अभ्यास आप सुबह के समय खाली पेट कर सकते हैं। साथ ही शाम के समय भी इसका अभ्यास कर सकते हैं। भोजन के तुरंत बाद इस आसन का अभ्यास न करें।

इस लेख से आपने क्या सीखा?

इस लेख में आपने पवनमुक्तासन से संबंधित सभी जानकारियाँ प्राप्त कीं, जैसे पवनमुक्तासन क्या है, पवनमुक्तासन करने की विधि, पवनमुक्तासन के प्रकार, पवनमुक्तासन के लाभ, पवनमुक्तासन करते समय ध्यान देने वाली जरूरी बातें एवं इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ इत्यादि।

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कोई भी योगासन करते समय अपने शारीरिक क्षमता का ध्यान रखें। किसी भी योगासन को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श लें, विशेष रूप से यदि आप किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हैं। गलत तरीके से योग करने से शारीरिक चोट या अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

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गजेंद्र शेखावत

गजेंद्र शेखावत

दोस्तों, आपका हमारी साइट में बहुत-बहुत स्वागत है। मेरा नाम गजेंद्र है। मुझे अपनी दैनिक जीवन शैली से जुड़ी चीजों के बारे में जानने की बहुत जिज्ञासा होती है। अपने अनुभव और ज्ञान को मैं इस साइट के माध्यम से आपके साथ साझा करता हूँ। आशा है कि मेरी लेखनी आपको जानकारीपूर्ण और उपयोगी लगेगी। धन्यवाद!

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