सूर्य नमस्कार केवल 12 आसनों का एक समूह नहीं है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण जीवन दर्शन है। यह प्राचीन ऋषियों द्वारा दी गई एक अमूल्य विरासत है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए अद्भुत लाभ प्रदान करती है।
आज के वैज्ञानिक सूर्य के कई रहस्यों को उजागर कर चुके हैं और इस पर अभी भी शोध जारी है। लेकिन हमारे ऋषि-मुनियों ने सूर्य की अपार शक्ति, इसकी दिव्यता एवं रहस्यों को प्राचीन काल में ही समझ लिया था। उन्होंने जनकल्याण के लिए इसके कई लाभ (Benefits of Surya Namaskar in Hindi) एवं उपयोग को लोगों तक पहुँचाया।
लेकिन आज के लोग सूर्य के प्रति अल्प ज्ञान के कारण इसके फायदों से अनजान हैं। एक शब्द में कहें तो सूर्य जीवनदायिनी है। इसके प्रति हमें पूरी श्रद्धा एवं जागरूक रहना चाहिए। इस लेख में सूर्य नमस्कार करने की विधि, इसके मंत्र, मंत्र का अर्थ, इसके फायदे आदि को विस्तार से बताया गया है।
नए योग साधकों के लिए नीचे कुछ सरल उपाय बताए गए हैं, जिनके द्वारा आसानी से सूर्य नमस्कार को सीखा जा सकता है। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें, परंतु उससे पहले हम जानेंगे कि आखिर सूर्य नमस्कार क्या है।
सूर्य नमस्कार क्या है? – What Is Surya Namaskar (Sun Salutation) in Hindi
सूर्य नमस्कार, जिसे “सूर्य देव को नमस्कार” के रूप में भी जाना जाता है, 12 आसनों का एक गतिशील योग अभ्यास है जिसे 12 चरणों में किया जाता है। यह पूरे शरीर को मजबूत और लचीला बनाने, पाचन में सुधार करने, हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, तनाव कम करने और एकाग्रता में सुधार करने के लिए जाना जाता है।
सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में प्रणाम आसन, हस्तउत्तान आसन, पादहस्त आसन, अश्व संचालन आसन, पर्वत आसन, अष्टांग नमस्कार आसन, भुजंग आसन, पर्वत आसन, अश्व संचालन आसन, पादहस्त आसन, हस्तउत्तान आसन और प्रणाम आसन शामिल हैं। इसे करते समय 12 मंत्रों के द्वारा मन में सूर्य देव (भगवान) के प्रति आराधना या कृतज्ञ व्यक्त किया जाता है।
सूर्य नमस्कार के कई अलग-अलग रूप हैं, जिनमें 12-आसन सूर्य नमस्कार, 24-आसन सूर्य नमस्कार और शुरुआती लोगों के लिए सूर्य नमस्कार का एक संशोधित संस्करण शामिल है।
सूर्य नमस्कार के फायदे – Benefits of Surya Namaskar Yoga in Hindi
सूर्यनमस्कार योग को करने से सेहत पर कई प्रकार के लाभ नजर आते हैं। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। सूर्य नमस्कार योगासन के इन्हीं फायदों के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं:
1. त्वचा विकार
सूर्य नमस्कार को करने से शरीर के सभी अंगों में समान रूप से रक्त प्रवाह होता है एवं सभी कोशिकाओं में समान ऊर्जा मिलता है। जिससे त्वचा संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते है। त्वचा में निखार आता है, चेहरे की झुर्रियां भी समाप्त हो जाती है एवं शरीर सुंदर दिखने लगता है।
2. मांसपेशियों की मजबूती बढ़ाए
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar in Hindi) करने से शरीर के सभी अंगों को व्यायाम मिलता है। जिससे शरीर संपूर्ण स्वस्थ एवं बलवान बनता है। यहां तक कि जोड़ों व मांसपेशियों के व्यायाम होने के कारण इन्हें भी संपूर्ण लाभ एवं मजबूती मिलता है।
3. वजन घटाने के लिए
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar in Hindi) को मोटापा का दुश्मन माना जाता है। मोटापा से परेशान व्यक्ति इस आसन को जरूर करें। इसे करने से तेजी से वजन कम करने में बहुत मदद मिलता है। सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर सुडौल एवं छरहरा बनता है। मोटापे जैसी बीमारी तो आसपास भी नहीं भटकते हैं।
4. रक्त परिसंचरण
जिन व्यक्ति को रक्त संचार से संबंधित परेशानी है उसे इस आसन को करने से शरीर में रक्त परिसंचरण तंत्र के साथ-साथ हृदय को भी स्वस्थ बनाता है। और पूरे शरीर में समान मात्रा में रक्त को प्रवाहित करता है। हालांकि अधिक उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति इस आसन को किसी योग शिक्षक के देखरेख में ही करें अन्यथा इसे करने से बचें।
5. नेत्र विकार
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar in Hindi) से आंखें संबंधित समस्या दूर होता है। इसे करने से तेज आती है तथा दृष्टि विकार दूर होता है।
6. चिंता दूर करे और मन को शांत रखे
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar in Hindi) से तनाव, अवसाद, चिंता, परेशानी दूर होता है। माइग्रेन में भी सूर्य नमस्कार का अधिक लाभ है। इस आसन को विद्यार्थी एवं कम उम्र के लोग अवश्य करें इसके निरंतर अभ्यास से बुद्धि, यादाश्त क्षमता एवं सोचने समझने की क्षमता में वृद्धि होती है।
7. उदर विकार
जिन व्यक्ति को पाचन संबंधित परेशानी है उससे सूर्य नमस्कार को करने से उसकी परेशानी दूर होती है। कब्ज गैस, एसिडिटी आदि रोगों के लिए सूर्य नमस्कार रामबाण साबित होता है।
सूर्य नमस्कार मुद्रा करने का तरीका – Step by Step Guide to do Surya Namaskar
सूर्य नमस्कार को सही तरीके से करने पर ही बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। इसलिए, हम यहां सूर्य नमस्कार करने का तरीका क्रमवार बता रहे हैं। इसके प्रत्येक चरण को पूरा करने के लिए निम्न आसनों को अपनाना पड़ेगा:
स्टेप – 1: प्रणाम आसन / नमस्कार आसन (Pranamasana)
- सबसे पहले किसी नरम चटाई पर दोनों पैरों को मिलाकर सावधान में खड़ा हो जाए।
- सांस लेते हुए दोनों हाथों को पंख की तरह फैलाते हुए कंधे के समानांतर उठाएं।
- दोनों हथेलियों को आसमान की तरह पलटे और दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए हथेलियों को आपस में मिला ले जैसे वृक्षासन में मिलाते हैं।
- अब इसी स्थिति में दोनों हथेलियों को अपने छाती (वक्ष स्थल) के सामने लाएं जैसे नमस्कार प्रणाम या प्रार्थना करते हैं।
स्टेप -2: हस्तउत्तान आसन (Hasta Uttanasana)
- हथेलियों को खोलते हुए दोनों हाथ नीचे ले जाएं।
- श्वास लेते हुए दोनों हाथों को सामने से ऊपर उठाएं कानों के सीध में।
- धड़ एवं सिर को अपनी क्षमता अनुसार पीछे झुकाए।
- ध्यान रहे – दोनों हाथ कंधों की चौड़ाई के बराबर खुला होगा कान के सीध में।
स्टेप – 3: पादहस्त आसन (Padahastasana)
- श्वास छोड़ते हुए आगे की तरफ झुके।
- दोनों हथेलियों को पैरों के बगल में जमीन से स्पर्श करें।
- पेट को संकुचित करते हुए सिर को घुटने से स्पर्श कराएं।
- ध्यान रहे – घुटना सीधा हो। पैर मुड़ना नहीं चाहिए।
स्टेप – 4: अश्व संचालन आसन (Ashwa Sanchalan Aasan)
- पहले की स्थिति से ही बाएं पैर को पीछे ले जाएं एवं पैर के पंजे की ऊपरी सतह तथा घुटना को जमीन से आसपास कराएं।
- ध्यान रहे – दोनों हाथों एवं दाएं पैर की स्थिति में बदलाव ना हो।
- बाएं पैर पीछे ले जाते समय श्वास ले एवं दाहिने घुटने मोड़े।
- सिर को ऊपर उठाएं एवं नजर आकाश की ओर रखें।
- इस स्थिति में शरीर का कुल भार दोनों हथेलियों, दाहिने पैर घुटना एवं बाएं पैर के पंजों की ऊपरी सतह पर होगा।
- ध्यान रहे – दोनों हाथ सीधा।
स्टेप – 5: पर्वत आसन (Parvatasana)
- श्वास छोड़ते हुए दाएं पैर को सीधा कर के बाएं पैर के पंजे के पास दाएं पंजे को रखें।
- शरीर का भार दोनों हाथों एवं दोनों पैर पर रखें।
- अब कमर (नितम्ब) को जितना हो सके ऊपर उठाएं एवं सिर को दोनों भुजाओं के बीच में लाएं।
- नजरें घुटनों या नाभी की तरह रखें।
- ध्यान रहे – घुटना सीधा हो एवं एड़िया जमीन से टिका हुआ हो।
स्टेप – 6: अष्टांग नमस्कार आसन (Ashtang Namskarasana)
- घुटनों को मोड़ते हुए शरीर को आगे लाएं एवं नीचे झुका ढें। जमीन पर इस प्रकार लेटे कि दोनों पैर के पंजे, दोनों घुटने, दोनों हथेलियां, छाती, ठुड्डी जमीन से स्पर्श कर रहा हो।
- ध्यान रहे – कमर एवं पेट जमीन से स्पर्श न करें। इस स्टेप को करते समय श्वास को रोककर रखें।
स्टेप – 7: भुजंग आसन (Bhujangasana)
- हाथों को सीधा करें एवं शरीर को आगे खींचे।
- श्वास लेते हुए छती एवं सिर को ऊपर उठाए।
- कमर के ऊपरी हिस्से एवं सिर को पीछे की तरफ झुकाएं।
- नजरें आसमान की तरफ रखें।
स्टेप – 8: पर्वत आसन (Parvatasana) – यह स्टेप 5 का ही पुनरावृति है।
- श्वास को छोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाएं एवं शरीर को पीछे लाएं तथा पैर के तलवा जमीन पर स्थापित करें।
- जितना हो सके कमर / नितम्ब को ऊपर उठाएं एवं दोनों हाथों को सीधा करें।
- ध्यान रहे दोनों पैर मिला हुआ हो एवं नजरे घुटने या नाभी की तरफ हो।
स्टेप – 9: अश्व संचालन आसन (Ashwa Sanchalan Aasan) – यह स्टेप 4 का ही पुनरावृति है।
- श्वास लेते हुए बाएं पैर को दोनों हथेलियों के बीच में स्थापित करें एवं घुटने को मोड़ते हुए पैर पर सवार हो जाएं।
- दाएं पैर के पंजे के ऊपरी सतह एवं घुटने को जमीन से स्पर्श कराएं एवं पीछे तान कर रखें।
- इस स्थिति में शरीर का भार दोनों हथेलियां, बाएं पैर, दाएं पैर के पंजे के ऊपरी सतह एवं दाएं घुटने पर होगा। ध्यान रहे दोनों हाथ सीधा हो एवं नजरें आसमान की तरह हो।
स्टेप – 10: पादहस्त आसन (Padahastasana) – यह स्टेप 3 का ही पुनरावृति है।
- दोनों हाथों पर दवाव देते हुए दाएं पैर को बाएं पैर से मिलाएं (दोनों हाथों के बीच में)।
- श्वास को छोड़ते हुए कमर / नितम्ब को ऊपर उठाएं एवं सिर को घुटने से स्पर्श कराएं।
- ध्यान रहे घुटने सीधा हो एवं दोनों पैर दोनों हथेलियां एक सीध में हो।
स्टेप – 11: हस्तउत्तान आसन (Hastautanasana) – यह स्टेप 2 का ही पुनरावृति है।
- श्वास को लेते हुए दोनों हाथ को सामने से ऊपर उठाएं एवं शरीर को सीधा करें।
- हाथों को कान के सीध में रखें एवं दोनों हाथों को कंधे की चौड़ाई के बराबर खोलकर रखें।
- धड़ एवं सिर को अपनी क्षमता अनुसार पीछे झुकाएं।
- नजरें आसमान की तरफ रखें।
स्टेप – 12: प्रणाम आसन (Pranamasana) – यह स्टेप 1 का ही पुनरावृति है।
- श्वास छोड़कर समान स्वसन क्रिया करें एवं शरीर को सीधा करें।
- दोनों हथेलियों को आपस में मिला लें (जिस प्रकार वृक्ष आसन में मिलाते हैं)।
- इस स्थिति से ही हाथों को सामने से वक्ष स्थल के पास लाएं (प्रणाम / प्रार्थना / नमस्कार की तरह )।
इस प्रकार सूर्य नमस्कार का आधा चक्र (आवृति) पूरा हुआ। पूरा आवृति करने के लिए इन 12 स्टेप्स को दोबारा पैर बदलकर करें। सभी स्टेप्स उसी प्रकार होंगे, केवल स्टेप 4 और स्टेप 9 में पैर को बदलना है।
- स्टेप 4 में बाएं पैर को पीछे ले गए थे, इस बार दाएं पैर को पीछे ले जाएंगे।
- स्टेप 9 में बाएं पैर को आगे लाए थे, इस बार दाएं पैर को आगे लाएंगे।
इस प्रकार से कुल 24 स्टेप्स का समूह बनता है, जिसमें सभी स्टेप्स दो-दो बार करने से पूरा एक चक्र (आवृति) बनता है। इन सभी बारह स्टेप्स के लिए अलग-अलग 12 मंत्र हैं, जिन्हें सूर्य नमस्कार करते समय हर स्टेप के साथ-साथ उच्चारित कर सकते हैं।
सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र अर्थ सहित
क्रम सं. | आसन का नाम | आसन मंत्र | मंत्र का अर्थ | ध्यान चक्र |
---|---|---|---|---|
1. | प्रणाम आसन | ॐ मित्राय नमः | हे विश्व के मित्र सूर्य, आपको नमस्कार। | अनाहत चक्र |
2. | हस्तउत्तान आसन | ॐ रवये नमः | हे संसार के चहल-पहल करनेवाले वाले सूर्य देव , आपको नमस्कार। | विसुद्धि चक्र |
3. | पादहस्त आसन | ॐ सूर्याय नमः | हे संसार को जीवन देने वाला सूर्य देव, आपको नमस्कार। | स्वाधिष्ठान चक्र |
4. | अश्व संचालन आसन | ॐ भानवे नमः | हे प्रकाशपुंज, आपको नमस्कार। | आज्ञा चक्र |
5. | पर्वत आसन | ॐ खगाय नमः | हे आकाश में गति करने वाले देव, आपको नमस्कार। | विसुद्धि चक्र |
6. | अष्टांग नमस्कार आसन | ॐ पूष्णे नमः | हे संसार के पोषक , आपको नमस्कार। | मणिपूरक चक्र |
7. | भुजंग आसन | ॐ हिरण्यगर्भाय नमः | हे ज्योतिर्मय , आपको नमस्कार। | स्वाधिष्ठान चक्र |
8. | पर्वत आसन | ॐ मरीचये नमः | हे किरणों के स्वामी , आपको नमस्कार। | विसुद्धि चक्र |
9. | अश्व संचालन आसन | ॐ आदित्याय नमः | हे संसार के रक्षक, आपको नमस्कार। | आज्ञा चक्र |
10. | पादहस्त आसन | ॐ सवित्रे नमः | हे विश्व को उत्पन्न करने वाले, आपको नमस्कार। | स्वाधिष्ठान चक्र |
11. | हस्तउत्तान आसन | ॐ अर्काय नमः | हे पवित्रता को देने वाले , आपको नमस्कार। | विसुद्धि चक्र |
12. | प्रणाम आसन | ॐ भास्कराय नमः | हे प्रकाश करने वाले , आपको नमस्कार। | अनाहत चक्र |
सूर्य नमस्कार के लिए कुछ सावधानियां – Precautions for Surya Namaskar In Hindi
सूर्य नमस्कार के अभ्यास से पूर्व कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। इससे सूर्य नमस्कार के नुकसान से बचने में आसानी हो सकती है। ऐसे में निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- अधिक उच्च रक्तचाप के मरीज इस आसन को न करें।
- ह्रदय विकार वाले इस आसन को न करें।
- हृदय विकार वाले व्यक्ति इस आसन को न करें।
- हर्निया से ग्रसित व्यक्ति को इस आसन को नहीं करना चाहिए। मेरुदंड में गंभीर समस्या है तो इस आसन को न करें।
- छोटे बच्चों को इस आसन को करने की जरूरत नहीं है।
- बुखार या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं तो इस आसन को स्वस्थ होने के बाद ही करें।
- शरीर में ज्यादा कमजोरी हो तो इस आसन को धीरे धीरे करें या एक चक्र से ज्यादा न करें।
- चक्कर आने या सिर घूमने की समस्या हो तो इस आसन को न करें।
सूर्य नमस्कार करने से पहले इन बातों को ध्यान रखें
- सूर्य नमस्कार ब्रह्म मुहूर्त (सुबह) में ही करना ज्यादा उचित है।
- सूर्य नमस्कार पूरब दिशा की ओर मुंह करके ही करना चाहिए।
- यदि आपके पास सुबह में समय के अभाव है तो साम में खाली पेट रहने पर ही करें।
- सूर्य नमस्कार सुबह का नित्य क्रिया, स्नान आदि करने के बाद ही करना चाहिए।
- कपड़े आरामदायक एवं ढीला ढाला पहनना चाहिए।
- कमर को कस कर नहीं बांधना चाहिए।
- इस आसन को करने के लिए साफ सुथरा एवं हवादार स्थान का चुनाव करें।
- सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar in Hindi) करने से पहले शरीर को वार्मअप (गर्म) करने के लिए छोटी-छोटी व्यायाम जरूर करें।
- किसी भी योगासन करने के तुरंत बाद नाश्ता या जलपान न करें।
सूर्य नमस्कार से जुड़े कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)
सूर्य नमस्कार ऐसे योग आसनों का समूह है जिसे करने से संपूर्ण शरीर का व्यायाम होता है। तथा इसके असीमित लाभ होने के कारण कई रोगों का नाश करने में सहायक है। इसलिए सभी व्यक्ति को सूर्य नमस्कार जरूर करना चाहिए। चाहे इसके बाद वह कोई और आसन करें या ना करें या कोई व्यायाम ना करें।
सूर्य नमस्कार और चंद्र नमस्कार में कई अंतर होते हैं। सूर्य नमस्कार में सूर्य को नमस्कार किया जाता है, जबकि चंद्र नमस्कार में चंद्रमा को नमस्कार किया जाता है। सूर्य नमस्कार में 12 स्टेप होते हैं, लेकिन चंद्र नमस्कार में 12 या कहीं-कहीं 14 स्टेप भी बताए गए हैं।
सूर्य नमस्कार 7 आसनों के द्वारा किया जाता है, जबकि चंद्र नमस्कार में कुछ अलग आसनों का प्रयोग होता है और कुछ अलग पोस्चर भी होते हैं जिन्हें किसी आसन का नाम नहीं दिया गया है। इसके अलावा, सूर्य नमस्कार और चंद्र नमस्कार के मंत्र भी अलग-अलग होते हैं।
3 माह से अधिक गर्भवती महिला, उच्च रक्तचाप के मरीज, हर्निया के मरीज, स्लिप डिस्क वाले व्यक्ति एवं बच्चे को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार 8 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को करने की जरूरत नहीं है। बच्चे को इस आसन को करने से बचना चाहिए।
इस लेख से आपने क्या सीखा?
इस लेख में आपने सूर्य नमस्कार करने की विधि (Surya Namaskar in Hindi), सूर्य नमस्कार के फायदे (Benefits of Surya Namaskar in Hindi), सूर्य नमस्कार के मंत्र एवं उनके अर्थ, सूर्य नमस्कार करते समय ध्यान रखने वाली मुख्य बातें एवं सावधानियां इत्यादि के बारे में जाना।
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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी नई व्यायाम दिनचर्या को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें। सूर्य नमस्कार करते समय कोई असुविधा या दर्द महसूस हो तो तुरंत अभ्यास बंद करें और विशेषज्ञ से परामर्श करें।