क्या आपने कभी सोचा है कि आकाश नीला क्यों है? जब हम छोटे थे तो हम अक्सर खुद से पूछते थे, “आसमान नीला क्यों दिखता है?” कुछ लोग सोचते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि यह समुद्र के रंग को रिफ्लेक्ट अर्थात प्रतिबिंबित करता है, लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं है।
यहां एक सरल प्रश्न है जिसे थोड़ा और समझाने की आवश्यकता हो सकती है। तो आइए जानते कि आसमान नीला क्यों दिखता है!
आसमान नीला क्यों होता है?
जब हम आसमान की ओर देखते हैं, तो हम उसे एक स्थिर, सुंदर और नीले रंग में देखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आसमान का असली रंग नीला नहीं होता है? यह सच है, आसमान का असली रंग नहीं है। तो फिर आसमान को हम नीला क्यों देखते हैं? इसका उत्तर सूरज की किरणों में छुपा है।
सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणें वायुमंडल में मिलती हैं। इन किरणों में अलग-अलग रंग होते हैं, जिन्हें “स्पेक्ट्रम” कहा जाता है। इस स्पेक्ट्रम में सबसे छोटे तरंगदैर्ध्य (wavelength) वाला रंग वायलेट होता है और सबसे बड़े तरंगदैर्ध्य (wavelength) वाला रंग लाल होता है।
जब ये प्रकाश की किरणें वायुमंडल के गैसों और धूल कणों से मिलकर टकराती हैं, तो उनका परावर्तन होता है। छोटे तरंगदैर्ध्य वाले रंग (वायलेट और ब्लू) का परावर्तन ज्यादा होता है और ये रंग अधिक बिखरते हैं। आसमान का नीला रंग उसी बिखरे हुए प्रकाश के कारण होता है।
जब हम ऊपर की ओर देखते हैं, हम वायुमंडल में बिखरे गैसों और धूल कणों के कारण बिखरे हुए नीले प्रकाश को देखते हैं, जिससे आसमान का नीला रंग प्रतीत होता है। इस तरीके से, वायुमंडल में होने वाले प्रकाश के परावर्तन के कारण ही आसमान का नीला रंग हमें दिखता है। यह विज्ञानिक प्रक्रिया है जिसके कारण हम दिनभर आसमान को नीले रंग में देख पाते हैं।
कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सूर्यास्त के समय सूर्य की किरणें वायुमंडल में मिलती हैं और गैसों, धूल कणों और छोटे पदार्थों से परावर्तित होती हैं। इससे छोटे तरंगदैर्ध्य वाले रंग (वायलेट और ब्लू) का परावर्तन ज्यादा होता है और ये अधिक बिखरते हैं। इसके कारण हमें विभिन्न रंगों में दिखने वाले सूर्यास्त का आनंद मिलता है।
अंतरिक्ष में वायुमंडल की अभावशीलता के कारण सूर्य के प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता, जिससे आकाश का रंग काला दिखाई देता है। चंद्रमा भी अपने प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं करता, इसलिए यह भी काला दिखता है।
आसमान का असली रंग नीला होता है। यह वायुमंडलीय तरंगों के परिणामस्वरूप नीला दिखाई देता है, जो पृथ्वी की वायुमंडल में छिड़कते हैं। यह नीला रंग आकाश में छाया होता है और हमें दिनभर दिखता रहता है।
जब चीन में कोहरा पड़ता है तो कोहरे के कारण सूर्य के प्रतिबिंब बन जाते हैं जो 5 की संख्या में दिखाई देने लगते हैं।
सब कुछ वायुमंडल में है, उसपर निर्भर करता है! उदाहरण के लिए, मंगल ग्रह का वायुमंडल बहुत पतला होता है और अधिकांश रूप में कार्बन डाइऑक्साइड से बना होता है और धूल के छोटे कणों से भरा होता है। ये छोटे कण प्रकाश को पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद गैसों और कणों से अलग तरीके से छितरते हैं.
NASA के रोवर्स और लैंडर्स द्वारा ली गई तस्वीरों ने हमें यह दिखाया है कि सूर्यास्त के समय वही होता है जो आप पृथ्वी पर अनुभव करते हैं के विपरीत। दिन के समय, मंगल ग्रह का आकाश नारंगी या लाल रंग का होता है। लेकिन सूरज की संध्या के समय, सूरज के चारों ओर के आकाश का रंग नीला-ग्रे टोन में बदल जाता है।
आज आपने क्या सीखा
इस पोस्ट से हमने जाना कि आसमान का नीला रंग क्यों होता है और इसके पीछे का विज्ञान क्या है। यह नीला रंग वायुमंडल में होने वाले प्रकाश के परावर्तन के कारण होता है, जो सूर्य की किरणों से होते हैं। जब इन किरणों का वायुमंडल के गैसों और धूल कणों से परावर्तन होता है, तो हमें आसमान का नीला रंग दिखाई देता है।
यह एक रोचक और विज्ञानिक प्रक्रिया है जो हमें रोज़ आसमान के नीले रंग का आनंद दिलाती है। इस पोस्ट से हमने यह भी सीखा कि अंतरिक्ष में आकाश काला क्यों दिखता है और आसमान का असली रंग क्या होता है। इस रोचक जानकारी को समझने से हमारे आस-पास की दुनिया के रहस्यों को समझने में मदद मिलती है।
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