पत्रकारिता क्षेत्र में अर्णव गोस्वामी एक जाना माना नाम है, इन्हें वरिष्ठ पत्रकार के रूप में सम्मानित किया जाता है। आरंभिक जीवन से ही उनमें पत्रकारिता की प्रवृत्ति थी, और उन्होंने अध्ययन के बाद पत्रकारिता को अपना व्यवसाय चयन किया।
इस प्रस्तुत लेख में हम अर्णव गोस्वामी के जीवन का विस्तृत अध्ययन करेंगे, जिसमें व्यक्तिगत जानकारी और विभिन्न स्रोतों का सहारा लिया गया है। किसी भी प्रकार की त्रुटि को मानवीय भूल माना जाएगा।
यह लेख अर्णव गोस्वामी के आरंभिक जीवन, शिक्षा, व्यवसाय, विवाद आदि के विषयों पर प्रकट करने के लिए सक्षम है। इस अध्ययन के परिणामस्वरूप, आप अर्णब गोस्वामी के जीवन से अच्छी तरह से अवगत हो सकेंगे।
अर्णव गोस्वामी का सम्पूर्ण जीवन परिचय
अर्णब गोस्वामी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जो असमिया परंपरा का पालन करता है। इस परिवार को मध्यमवर्गीय श्रेणी में रखा जा सकता है, जिसमें उनके दादा और नाना दोनों ही स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। गोस्वामी के दादा का नाम रजनीकांत गोस्वामी था, जो एक प्रमुख वकील और कांग्रेस के नेता थे, साथ ही स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उनके नाना का नाम गौरी शंकर भट्टाचार्य था, जो असम में एक नेता और स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं, और वे एक प्रमुख लेखक भी थे, जिन्हें असम साहित्य सभा पुरस्कार से नवाजा गया था।
अर्णब गोस्वामी का जन्म और उनका आरंभिक जीवन इन प्रतिष्ठानुत्तरकों के परिचय में हुआ। उनका बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और देशभक्ति की भावना से भरा था। उनके पिताजी भी एक सैन्य अधिकारी थे, जिससे उन्होंने राष्ट्र सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का परिचय किया।
जन्म | 7 मार्च 1973 |
स्थान | गुवाहाटी, असम |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
नाम | अर्णव रंजन गोस्वामी |
पिता का नाम | मनोरंजन गोस्वामी (सैन्य अधिकारी) |
माता का नाम | सुप्रभा गोस्वामी |
धर्म | हिंदू |
संस्कृति | असमिया संस्कृति |
पत्नी का नाम | साम्यव्रत राय गोस्वामी (पिपि) |
पुत्र तथा पुत्री | एक पुत्र |
शिक्षा | डी.फिल (सामाजिक मानविकी विज्ञान) ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी |
निवास | मुंबई महाराष्ट्र |
रुचि का क्षेत्र | विभिन्न क्षेत्रों में पुस्तक का अध्ययन, शास्त्रीय संगीत सुनना, पत्रकारिता के नए आयाम खोजना। |
अर्णव गोस्वामी आरंभिक जीवन
अर्णब गोस्वामी का आरंभिक जीवन असम में बीता। उनके दादा और नाना एक स्वतंत्रता सेनानी थे। राजनीतिक क्षेत्र में भी सक्रिय थे। परिवार में किसी प्रकार की कोई अभाव नहीं था। अर्णब का बचपन सुखद अनुभूतियों के साथ दादा – नाना के संरक्षण में गुजरा।
देश के प्रति उनकी भावना परिवार में रहकर मजबूत हो रही थी। उनके पिता मनोरंजन गोस्वामी सैन्य अधिकारी थे। अतः वह देश के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव रखते थे। अर्णब जब बड़े हुए, वह अपने पिता के साथ रहने लगे। उनके पिता का सेना में रहते हुए जगह-जगह तबादला होता रहा। वह कभी दिल्ली कभी जबलपुर और अन्य विभिन्न राज्यों में रहते। जिसके कारण परिवार भी एक स्थान से दूसरे स्थान स्थानांतरित होता रहा।
अर्णव गोस्वामी शैक्षणिक जीवन
अर्णब की शिक्षा का आरंभ घर से ही माना जाता है। दादा के संरक्षण में अनौपचारिक शिक्षा घर पर प्राप्त हुई। औपचारिक शिक्षा के लिए उन्होंने असम के विद्यालय में दाखिला लिया।
दसवीं की परीक्षा दिल्ली छावनी में स्थित ‘माउंट सैंट मैरी विद्यालय’ से उत्तीर्ण की। पिता जैसा कि पहले बताया गया है वह सैन्य अधिकारी थे। उनका निरंतर एक दूसरे स्थान पर स्थानांतरण होता रहता था। अर्णब जिस समय दसवीं की परीक्षा दे रहे थे उनके पिता दिल्ली में थे। 12वीं की परीक्षा के समय पिता का स्थानांतरण जबलपुर छावनी में किया गया था। अतः अर्णब ने जबलपुर छावनी स्थित केंद्रीय विद्यालय से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की।
स्नातक की परीक्षा समाजशास्त्र विषय में करने के लिए वह पुनः दिल्ली आ गए। यहां उन्होंने स्नातक की पढ़ाई की। मास्टर डिग्री के लिए वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय पहुंचे वहां उन्होंने सामाजिक विज्ञान विषय पर मास्टर डिग्री किया।
अर्णव गोस्वामी इसके बाद सिडनी सक्सेस कॉलेज में विजिटिंग फेलो के रूप में भी रहे।
पत्रकारिता में आगमन
अर्णब गोस्वामी की पत्रकारिता का आरंभ 1990 के आसपास मिलता है। उन्होंने द टेलीग्राफ से औपचारिक तौर पर पत्रकारिता में कदम रखा। यह समाचार पत्र था , जिसमें संपादक की भूमिका में अर्नब थे। 1994 में द टीवी समाचार के बतौर एंकर के रूप में काम किया। इसी में एक शो न्यूज़ टुनाइट के नाम से प्रस्तुत करते थे। उसके बाद अर्नब ने एनडीटीवी में काम संभाला यह लगभग 1997 का समय होगा। वह न्यूज़ आवर नामक शो की एंकरिंग करते थे। इसमें विश्लेषक की भूमिका निभाते थे। माना जाता है यह समाचार उस दशक का सबसे बड़ा समाचार विश्लेषण वाला शो था।
2006 में टाइम्स नाउ में वरिष्ठ संपादक के तौर पर कार्यरत हुए। यहां से उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में नई उपलब्धि मिली। उनकी प्रसिद्धि अंग्रेजी पत्रकारिता में बढ़ गई थी। उन्हें निडर साहसी पत्रकार के तौर पर पहचान मिली। दर्शकों में अर्नब की लोकप्रियता अधिक बढ़ रही थी। टाइमस नाउ की प्रसिद्धि भी इस पत्रकार के कारण अधिक हो गई थी। माना जाता है टाइमस नाउ की कमाई अर्नब की पत्रकारिता से कई गुना बढ़ चुकी थी।
बतौर एंकर इन्होंने परवेज मुशर्रफ, सोनिया गाँधी, शशि थरूर, राहुल गांधी आदि का बेबाकी से इंटरव्यू लिया। जिसके लिए उन्हें बेस्ट न्यूज़ एंकर पुरस्कार से नवाजा गया। वह सर्वश्रेष्ठ पत्रकार के तौर पर प्रसिद्ध हुए।
अर्णव का एक शो और प्रसिद्ध हुआ जिसका फ्रेंकली स्पीकिंग विद अर्णब नामक था। उन्होंने नरेंद्र मोदी, बनर्जी भुट्टो, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और देश दुनिया के प्रमुख हस्तियों के साथ साक्षात्कार किया।
वर्तमान समय में वह पूछता है भारत रिपब्लिक भारत टीवी पर कार्यक्रम करते हैं। जिसमें ज्वलंत मुद्दों को उठाते हैं और दोषियों को कटघरे में खड़ा करते हैं।
अर्णव गोस्वामी के साथ विवाद
पत्रकारिता के क्षेत्र में विवाद सदैव पत्रकारों के साथ लगा रहता है। अर्णव गोस्वामी के साथ भी कुछ छोटे-मोटे विवाद सदैव जुड़े रहते हैं। बड़ा विवाद तब बन गया जब एक ही समय में अलग-अलग राज्यों में सौ से अधिक एफ आई आर जब इनके खिलाफ करवाया गया।
यह विवाद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के वास्तविक नाम लेने के कारण था। सोनिया गांधी का वास्तविक नाम एंटोनियो माइनो है।
इस नाम को अपने प्राइम टाइम शो पूछता है भारत में उजागर करने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने, अर्णब गोस्वामी के साथ दुर्भावना से ग्रसित होकर एफ आई आर दर्ज करवाया। मुंबई में जब वह अपनी पत्नी के साथ कार में जा रहे थे तो उन पर हमला भी किया गया। यह विवाद अर्णब गोस्वामी के जीवन में बड़ा विवाद साबित हुआ।
पूछता है भारत प्राइम टाइम शो
पूछता है भारत शो, रिपब्लिक भारत टेलीविजन पर दिखाए जाने वाला कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में अधिकतर अर्णब गोस्वामी कमान संभालते हैं। जिसमें ज्वलंत मुद्दे देश हित के मुद्दे को प्राथमिकता देते हुए इस कार्यक्रम में शामिल किया जाता है।
उन सभी पक्ष-विपक्ष को सामने रखकर बातों की तह तक जाने का प्रयास किया जाता है। 2 फरवरी 2019 को रिपब्लिक भारत का उद्घाटन हुआ।
अर्णव गोस्वामी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में इस टेलीविजन को अग्रणी पंक्ति में ला खड़ा किया। आज दर्शकों के मामले में भी यह टेलीविजन अन्य बड़े न्यूज़ चैनल को प्रतिस्पर्धा देता है।
पूछता है भारत एक प्राइम टाइम शो है , जिसमें जनता के हितों को ध्यान में रखकर शो का आयोजन किया जाता है। एंकर कि अधिकतर कोशिश रहती है पक्ष और विपक्ष को सामने बिठा कर समस्या का निदान ढूंढा जाए।
यह बेहद ही गरमा-गरम कार्यक्रम है। दोनों ओर से वाद-विवाद की गंभीर प्रतियोगिता होती है।
अर्णव गोस्वामी का समाज के प्रति दृष्टिकोण
अर्णब गोस्वामी समाज के प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना कूट-कूट कर भरी है। समाज सेवा और सामाजिक उत्थान की प्रेरणा उन्हें घर से प्राप्त हुई थी। दादा-नाना और पिता के सराहनीय योगदान से उनका चरित्र निर्माण हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम में जिस प्रकार से दादा और नाना ने भूमिका निभाई थी, वह समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य था।
अर्णब का समाज के प्रति लगाव विशेष सराहनीय है। समाज में वह किसी को दुखी और कष्ट में नहीं देखना चाहते। व्यक्तिगत रूप से उन्होंने समाज सेवा निरंतर जारी रखी।
पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने समाज में सरकार की बेरुखी को उजागर किया। समाज के हित के लिए वह सदैव लड़ते नजर आए। समाज का हित सर्वोपरि मानते हुए अपने हितों को नजरअंदाज करते हैं।
राष्ट्रवाद को समर्थन
अर्णब गोस्वामी ने राष्ट्रवाद की भावना का आना कोई सहयोग नहीं था। इनके परिवार में दादा – नाना और पिता सभी देश के प्रति कार्य कर चुके थे। देश की सेवा में डटे हुए थे।
ऐसे में घर के पुत्र रूप में इनके विचारों में राष्ट्रवाद की भावना का आना स्वाभाविक था। आज भी वह उसी भावना के साथ कार्य करते हैं। अपने टीवी शो पर बेबाकी से राष्ट्रवाद को समर्थन करते हैं।
कई बार समर्थन के कारण वह विपक्षी और राष्ट्रवाद को धोखा देने वाले लोगों के साथ सदैव विवाद में आ जाते हैं। अर्णव खुले मंच से राष्ट्रवाद को समर्थन देते हैं।
अपने प्राइम टाइम शो पूछता है भारत में वह बेबाकी के साथ कड़े शब्दों में देशद्रोहियों को बेनकाब करते हैं। षड्यंत्रों को उजागर करते हैं, लोगों को सतर्क रहने का आगाज करते हैं। राष्ट्रवाद का ही परिणाम है कि इन्होंने देश के प्रति गहरे साजिशों और हमलों में कई – कई दिन निरंतर बिना आराम किए पत्रकारिता धर्म को निभाते रहे।
अर्णव गोस्वामी के जीवन घटनाक्रम
- 7 मार्च 1973 – जन्म
- 1994- मास्टर डिग्री ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से
- 1993 – द टेलीग्राफ समाचार पत्र के संपादक रहे
- 1994 – द. टी.वी की एंकरिंग
- 1997 – एन.डी.टीवी में एंकर और बतौर वरिष्ठ संपादक का कार्यभार संभाला
- 2003 – सर्वश्रेष्ठ एंकर एशियन टेलिविजन अवॉर्ड
- 2006 – वह टाइम्स नाउ में शामिल हुए
- 2006 – सोसायटी यंग अचीवर्स अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस इन द फील्ड ऑफ मीडिया
- 2007 – इंडियन न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड फॉर इन्नोवेटिव एडिटर इन चीफ
- 2008 – बेस्ट एंकर अवार्ड से नवाजा गया
- 2010 – रामनाथ गोयंका अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म
- 2012 – पी.एन.बी.ए अवार्ड फॉर न्यूज़ टीवी एडिटर इन चीफ ऑफ द ईयर