हेलो दोस्तों! हिन्दीअस्त्र में आपका स्वागत है। आज हम आपको सुनीता नारायण से जुड़े 10 रोचक तथ्य के बारे में बताएंगे, जो आप शायद ही जानते होंगे, तो आइए जानते हैं।
भारत में पर्यावरण जागरुकता से संबंधित कोई चर्चा होती है तो प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुनीता नारायण का जिक्र जरूर होता है। सुनीता नारायण सन 1982 से ही ”विज्ञान एवं पर्यावरण” केंद्र से जुड़ी हुई हैं। इस समय वे केंद्र की निदेशक हैं।
वे ”पर्यावरण संचार समाज” की निदेशक भी हैं। सुनीता ”डाउन टू अर्थ” नाम की एक अंग्रेजी पत्रिका भी प्रकाशित करती हैं जो पर्यावरण पर केंद्रित है। उनके बेहतरीन कार्यों के लिए साल 2005 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया। पेश हैं उनसे जुड़े प्रमुख तथ्य-
- सुनीता का जन्म 1961 में दिल्ली में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम राज और ऊषा नरायण था। वो अपनी चार बहनों में सबसे बड़ी हैं।
- उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और आजादी के बाद हैंडीक्राफ्ट का बिजनेस करते थे पर जब सुनीता सिर्फ आठ साल की थीं तब उनकी मृत्यु हो गई थी। उनकी मां ने ही बाद में बिजनेस और घर दोनों संभाला।
- सुनिता बचपन से ही पढ़ाई के प्रति समर्पित थीं और दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही पर्यावरण के लिए काम करना शुरू कर दिया था।
- 1980 में सुनीता प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के बेटे कार्तिकेय से मिलीं जिन्होंने उन्हें विक्रम साराभाई रिसर्च इंस्टिट्यूट में रिसर्च असिस्टेंट के रूप में काम करने का ऑफर दिया। तब से सुनीता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
- प्रकृति से प्यार करने वाली सुनीता नारायण को टाइम मैगजीन ने 2016 में दुनिया भर में मौजूद सर्वश्रेष्ठ 100 बुद्धिजीवियों की श्रेणी में शामिल किया।
- उन्होंने समाज के लिए पानी से जुडी समस्याओं, प्रकृति और वातावरण से जुड़े मुद्दों पर काफी काम किया है। सुनीता और उनकी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की टीम ने पूरे भारत के कई गांवों में वर्षा जल संचयन प्रणाली का इस्तेमाल किया है।
- वह देश और विदेश की कई पत्र-पत्रिकाओं में लिखती रही हैं और लेखन के माध्यम से पर्यावरण बचाने के अपने संदेश देती रही हैं।
- देश में जंगली जानवरों के अवैध शिकार और तस्करी को रोकने के लिए उन्हे ‘टाइगर टास्क फोर्स’ की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।
- उनका मानना है कि विकास के मौजूदा मॉडल को बदलने की जरूरत है। अनियंत्रित तरीके से परंपरागत रोजगार और संसाधनों को नष्ट करके विकास करना चिंता का विषय है।
- उन्हें ‘स्टॉकहोम वाटर प्राइज’ और वर्ष 2004 में मीडिया फाउंडेशन ‘चमेली देवी अवार्ड’ प्रदान किया गया। इतनी खास होने के बावजूद सुनीता के जीवन और विचारों की सादगी देखकर उनके प्रशंसकों को बहुत प्रेरणा मिलती है।
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