इस पोस्ट में, हम नीरज चोपड़ा के जीवन परिचय के बारे में जानेंगे और साथ ही हम उनकी सफलता की कहानी भी जानेंगे।
इस दुनिया में हर कोई चाहता है कि उसे सफलता मिले और पूरी दुनिया उसे जाने। परंतु हर कोई सफलता के लिए आवश्यक कीमत को नहीं चुकाता है। यही वह कारण है जिसके लिए हर कोई इस दुनिया में सफल नहीं होता। लेकिन जिस इंसान में सिर्फ और सिर्फ सफलता की भूख है और जो कड़ी मेहनत से नहीं डरता, आज नहीं तो कल सफलता उसके कदम अवश्य ही चूमती है। कहते हैं कि सोने को आप जितना अधिक आग में तपाओगे, उसकी चमक उतनी ही बढ़ती जाती है।
हम उनकी तुलना सोने से तो नहीं कर सकते, बल्कि हम जिसके बारे में बात करने जा रहे हैं, वह व्यक्ति एक ऐसा हीरा है जिन्होंने अपनी चमक से भारत का नाम पूरे विश्व में रौशन कर दिया है। जी हां! हम Neeraj Chopra (नीरज चोपड़ा) के बारे में बात कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि आपको Neeraj Chopra Biography In Hindi पसंद आएगी और आप नीरज चोपड़ा से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में भी अपने सपनों को हासिल करेंगे।
नीरज चोपड़ा बायोडाटा
Full Name | Neeraj Satish Kumar Chopra |
Birth Place | Khandas (Panipat), Hariyana, India |
Father / Mother | Satish Kumar Chopra / Saroj Devi |
Educational Qualification | Graduate from DAV College, Chandigarh |
Height | 180 cm ( 5’11” ) |
Weight | 86 Kg’s |
Relationship Status | Not Known |
Net Worth | 23 Cr. ( $1-3 Million ) |
Nationality | Indian |
नीरज चोपड़ा का बचपन तथा परिवार
वर्तमान में नीरज ने भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर सम्पूर्ण विश्व में भारत का नाम रौशन किया है। उनका जन्म हरियाणा के पानीपत शहर में 24 दिसम्बर सन 1997 में हुआ था। नीरज का परिवार एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार है, जिनके पास शुरुआत से ही सीमित संसाधन थे। नीरज चोपड़ा के पिता का नाम सतीश कुमार चोपड़ा है और नीरज की माँ का नाम श्रीमती सरोज देवी है।
नीरज के परिवार में उनके अलावा उनकी दो बहनें और दो भाई भी हैं। इन सभी में नीरज सबसे बड़े हैं, नीरज का परिवार मूल रूप से पानीपत जिले के एक छोटे से गांव खंडस के रहने वाले हैं। नीरज का बचपन पानीपत के इसी गांव में बीता था। चूंकि नीरज के परिवार की आय का प्रमुख स्त्रोत कृषि है, जिससे शुरुआत से ही उनके परिवार के आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे।
शिक्षा तथा शुरूआती जीवन
नीरज ने अपना शुरूआती जीवन पानीपत में ही बिताया था।
उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई पानीपत, हरियाणा से ही की थी। हम आपको बता दे की बचपन में नीरज चोपड़ा थोड़े मोटे हुए करते थे। जिसकी वजह से अपने बेटे के स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए नीरज के पिता ने उन्हें पास ही के शिवाजी स्टेडियम में जाकर कुछ खेल खेलने को कहा।
जिससे की नीरज का स्वास्थ्य भी बेहतर हो जाए और किसी खेल में रूचि भी ला सके।
नीरज चोपड़ा ने अपनी शुरूआती पढ़ाई पूरी करने के बाद में पानीपत के एक कॉलेज में बीबीए में दाखिला लेते हुए उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की थी। हालांकि शुरुआत में जब नीरज स्टेडियम जाते थे, तब उन्हें हर बच्चे की तरह क्रिकेट पसंद था। लेकिन जब उन्होंने किसी को भला फेंकते हुए प्रैक्टिस करते हुए देखा। तब नीरज को इस खेल में रूचि आने लगी और उन्होंने भाला फेंकना मात्र 11 वर्ष की उम्र से ही शुरू कर दिया था।
नीरज चोपड़ा का करियर संघर्ष तथा सफलता
नीरज चोपड़ा ने अपनी उच्चतम शिक्षा की पढ़ाई शाहबाज नगर, हरियाणा में की और इसी दौरान उन्होंने अपने खेलीय करियर को मजबूती दी। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और भारतीय खेल में अपना नाम बनाया। उन्होंने अपने जुनून और मेहनत के बल पर अपनी खेली की क्षमता को बेहतर बनाया। नीरज चोपड़ा का सपना हमेशा से ही था कि वे भारत को शॉट पुटर विभाग में भारत का प्रति-राष्ट्रीय चैम्पियन बनाएंगे। उन्होंने इस सपने को पूरा करने के लिए अपने जीवन की प्रतिबद्धता के साथ काम किया।
नीरज चोपड़ा का अभ्यास और प्रयास उन्हें एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दिलाने में मदद करते हैं, जब उन्होंने भारत के लिए एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता। यह उनके खेली के करियर का एक महत्वपूर्ण मोमेंट था जो उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान, सम्मान और प्रसिद्धि दिलाया। उन्होंने अपने देश का मान बढ़ाया और भारतीय खेल के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गए। नीरज चोपड़ा ने भारतीय जनता को गर्वित करने वाले कई अद्वितीय क्षणों को बनाया और एक सशक्त खिलाड़ी के रूप में अपने आप को साबित किया। उनकी इस उपलब्धि ने भारतीय खेल के प्रति लोगों की उत्साहित की और उन्हें भारतीय खिलाड़ियों के आदर्श के रूप में देखा जाने लगा। नीरज चोपड़ा का यह उपलब्धि सिर्फ एक व्यक्ति के नहीं, बल्कि भारतीय जनता के लिए भी एक महत्वपूर्ण परिप्रेक्ष्य था, जो ने एक विभाजन, सामाजिक समस्याओं और खेल में नए दृष्टिकोण की दिशा में बदलाव लाया। नीरज ने अपने उत्कृष्टता और उनके अनुभवों से संबंधित कई स्टोरीज और विशेष विशेषताओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनाये हैं।
नीरज चोपड़ा का पहला मैडल
नीरज चोपड़ा ने अपने करियर का पहला मेडल (ब्रोंज मेडल) डिस्ट्रिक्ट चैम्पियनशिप में जीता था।
जयवीर चौधरी के साथ एक साल तक सीखने के बाद नीरज चोपड़ा ने Tau Devi Lal Sports Complex में पंचकुला में दाखिला लिया था। यहां पर नीरज के कोच नसीम अहमद थे, जिन्होंने नीरज को बारीकी से भाला भेंक खेल के बारे में मार्गदर्शन दिया था।
इसके बाद नीरज का खेल समय के साथ-साथ बहुत बेहतर होता चला गया और उन्होंने लखनऊ में 2012 में होने वाली नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 68.40 मीटर का नेशनल रिकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता था। नीरज चोपड़ा ने वर्ष 2013 में होने वाली वर्ल्ड यूथ चैम्पियनशिप से अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी, जो यूक्रेन में हुई थी। इसके पश्चात नीरज चोपड़ा ने वर्ष 2014 में बेंगलोर में होने वाली यूथ ओलंपिक्स क्वालीफिकेशन में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला मेडल जीता था। वर्ष 2014 में ही सीनियर नेशनल्स में नीरज चोपड़ा ने अपने पहले थ्रो में 70 मीटर की दूरी हासिल की थी। वर्ष 2015 में नीरज चोपड़ा ने जूनियर श्रेणी में ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स में 81.04 मीटर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए थे।
कुछ अन्य तथ्य
नीरज चोपड़ा ने इसके बाद वर्ष 2015 में आयोजित National Games में केरल में 5वां स्थान हासिल किया। जिसके परिणामस्वरूप नीरज को राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण शिविर में ट्रेनिंग करने का मौका मिला।
नीरज बताते हैं कि यह उनके आगे आने वाले करियर के लिए एक टर्निंग प्वाइंट था, क्योंकि उन्हें यहां बेहतर ट्रेनिंग के साथ अच्छी सुविधाएं मिल रही थीं। जिसकी वजह से उनका खेल हर दिन बेहतर होता जा रहा था। उन्होंने बताया कि साथी भाला फेंक खिलाड़ियों से मार्गदर्शन मिलने पर उनका आत्मविश्वास और भी बढ़ गया था।
इसके बाद वर्ष 2020 में नीरज चोपड़ा ने Athletics Central North West League, South Africa में 87.86 मीटर का बेहतरीन प्रदर्शन किया था। वर्ष 2021 में पोर्टुगल में आयोजित एक प्रतिस्पर्धा में नीरज ने 83.18 मीटर के प्रदर्शन से पहला स्थान हासिल करते हुए Gold Medal जीता था। इसके बाद वर्ष 2021 में स्वीडन में आयोजित Folksam Grand Prix में नीरज चोपड़ा ने 80.96 मीटर का प्रदर्शन करते हुए Gold Medal जीता था। नीरज को असली सफलता और प्रसिद्धि जापान में होने वाले Olympic Games से मिली। यहां नीरज ने भाला फेंक प्रतिस्पर्धा में 87.58 मीटर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए Gold Medal जीता है।
नीरज चोपड़ा के अवार्ड्स
वर्ष 2018 में नीरज चोपड़ा को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके बाद वर्ष 2020 में नीरज चोपड़ा को विशिष्ट सेवा मेडल (Vishisht Seva Medal – VSM) से भी सम्मानित किया गया है।
निष्कर्ष
नीरज चोपड़ा ने जापान में हुए ओलंपिक में भाला फेंक खेल में गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश का नाम पूरे विश्व में रौशन किया है। हम सभी को नीरज चोपड़ा के जीवन से यह प्रेरणा अवश्य लेनी चाहिए कि यदि आप स्वयं पर भरोसा रखते हैं, तो भले ही आपकी राह में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आ जाएं, आप एक न एक दिन अपनी मंजिल तक अवश्य पहुंच जाते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि इस जीवनी ने आपको जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए अवश्य प्रेरित किया है। यदि आपको यह लेख पसंद आया है, तो आप नीरज के जीवन परिचय के इस लेख को अपने मित्रों और करीबियों के साथ अवश्य साझा करें।