Sundar Rajkumari Ki Kahani In Hindi | सुंदर राजकुमारी की कहानी

Sundar Rajkumari Ki Kahani : नमस्कार दोस्तों, आप सभी का हमारी वेबसाइट (HindiAstra) पर स्वागत है। आज हम आपके लिए फिर से एक ज्ञानवान कहानी लेकर आए हैं। हमें उम्मीद है कि हमारी यह एक सुंदर घमंडी राजकुमारी की कहानी आपको जरूर पसंद आएगी।

सुंदर और घमंडी राजकुमारी की कहानी

किसी राज्य में पृथ्वी सिंह नाम के एक बहुत ही दयालु राजा का शासन था। राजा की एक बेटी थी जो कि बहुत ही सुंदर थी, उसका नाम जानवी था। जानवी बहुत ही घमंडी लड़की थी। उसे अपनी खूबसूरती पर बहुत घमंड था। राजा पृथ्वी सिंह अपनी बेटी के विवाह के लिए एक योग्य वर की तलाश कर रहे थे।

उन्हें यह लगता था कि एक बार राजकुमारी की शादी हो जाए तो उनके बर्ताव और व्यवहार दोनों में परिवर्तन आ जायेगा। एक दिन राजा पृथ्वी सिंह अपनी बेटी के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन करते हैं और सभी राज्य के राजकुमारों को स्वयंवर का न्योता देते हैं।

न्योता देने के बाद सभी राजकुमार दरबार में हाजिर हो जाते हैं और राजा कहते हैं, “प्रिय राजकुमारों, हमारे राज्य में आप सभी का स्वागत है। जैसे कि आप सब जानते हैं आपको यहां पर किस उद्देश्य से बुलाया गया है, अब मेरी बेटी जानवी आप सभी से मिलेगी।”

राजा के इतना कहने पर ही राजकुमारी जानवी दरबार में आती है और राजकुमारों को देखते हुए सभी राजकुमारों को एक-एक करके देखती है और उनका अपमान करने लगती है, जैसे कि यह तो बहुत छोटा है, यह तो मोटा है और इसकी दाढ़ी बढ़ी है। इस प्रकार राजकुमारी सभी राजकुमारों का अपमान करने लगती है।

ऐसे करके, राजकुमारी आगे बढ़ती हैं और उस तरह के व्यवहार को देखकर राजा बहुत परेशान और दुखी हो जाते हैं। गुस्से में, राजा कहते हैं, “जानवी, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, इस तरह के तेजस्वी पुरुषों का अपमान करने का? अब मैं ऐलान करता हूं कि कल सुबह, जो भी पहला व्यक्ति महल के द्वार से प्रवेश करेगा, तुम्हारी शादी उससे होगी, चाहे वह राजा हो या रंक हो।”

राजा के इस ऐलान से राजकुमारी जानवी बहुत अचंभित हो जाती हैं। अगली सुबह, सबसे पहले, एक भिखारी तार बजाते हुए द्वार से प्रवेश करता है। महाराज पृथ्वी सिंह ध्यान देते हैं और उसे अंदर बुलवा लेते हैं।

भिखारी को अंदर लाकर, राजा कहते हैं कि उसकी शादी राजकुमारी से करवाई जाएगी। यह सुनकर, भिखारी हैरान होता है, परंतु उसे खुशी भी होती है।

तभी, राजकुमारी कहती हैं, “नहीं, पिताजी, मैं इस शादी को स्वीकार नहीं करूंगी।” राजा कहते हैं, “ऐसा नहीं हो सकता, तुम्हारी शादी उसी के साथ होगी। अब तुम तैयार हो जाओ, तुम यहां और नहीं रह सकती, तुम्हें अब अपने पति के साथ जाना होगा।” इसके बाद, महाराज अपनी पुत्री की शादी उस भिखारी से करवा देते हैं और राजकुमारी और भिखारी को वहां से विदा कर देते हैं।

वे बाहर निकलते हैं और पैदल चलते हैं, जल्द ही एक बहुत ही सुंदर घाटी में पहुंचते हैं। राजकुमारी पूछती हैं, “यह घाटी किसकी है?”

भिखारी कहता है, “यह घाटी राजा विक्रम की है।” तो राजकुमारी बोलती है, “मैं भी कितनी मूर्ख हूँ।” दोनों थोड़ा आगे चलकर एक बड़े से शहर में पहुंचते हैं। राजकुमारी वापिस से बोलती है, “बताओ, यह बड़ा और सुंदर शहर किसका है?” भिखारी बोलता है, “यह भी राजा विक्रम का है।”

दोनों शहर के एक छोटे से घर में पहुंचते हैं। राजकुमारी को घर देखकर चौंक उठती है, और बोलती है, “हे भगवान, यह क्या है? यह घर तो बहुत ही छोटा है और कोई सेवक भी नहीं दिख रहा।” तब भिखारी कहता है, “प्रिय, यह हमारा घर है। तुम्हें इस घर में हर कार्य खुद से करना होगा।” उसके बाद, भिखारी और राजकुमारी वहां रहने लगते हैं।

लेकिन राजकुमारी को कोई काम नहीं आता था, तो वह हर कार्य को बिगाड़ देती थी। परेशान होकर, भिखारी उसे सरल काम देने के बारे में सोचता है। वह जंगल से कुछ फूल लेकर आता है ताकि राजकुमारी उनसे माला बना सके और उन्हें बेचकर पैसे कमा सके।

राजकुमारी को माला बनाने की पूरी कोशिश करते हुए, परंतु उनसे माला नहीं बनाई जाती। इस पर भिखारी गुस्से में बोलता है, “तुम ना खाना बना सकती, ना माला बना सकती, ना घर का काम कर सकती। तो तुम क्या कर सकती हो? मैं तुम्हें सेविका का काम देता हूं राजा विक्रम के महल में, वहां तुम ध्यान से काम करना।”

अगले दिन से राजकुमारी राजा विक्रम के महल में सेविका के काम में लग जाती हैं। वहां पूरे दिन साफ-सफाई और बर्तन मांजने का काम करती हैं। दिन के अंत में उसे खाने के लिए कुछ भोजन मिलता है। ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं।

फिर एक दिन राजा विक्रम के विवाह की बात पक्की हो जाती है, साथ ही विवाह की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो जाती है। जब राजकुमारी जानवी इसे देखती हैं, तो वह बहुत उदास हो जाती हैं। वह बोलती है, “काश मैंने इतना घमंड नहीं दिखाया होता और राजा विक्रम का अपमान नहीं किया होता।”

इतना बोलते ही राजा विक्रम वहां आते हैं और पूछते हैं, “क्या तुमने मेरा नाम लिया?” राजकुमारी कहती है, “हाँ, मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा है, मुझे माफ कर दीजिए।”

तब राजा विक्रम कहते हैं, “तुम चिंता मत करो, चलो मेरे साथ।” और राजा विक्रम राजकुमारी जानवी को अपने साथ उस कमरे में ले जाते हैं जहां उनकी शादी की तैयारियां चल रही होती हैं। वहां पहुंचते ही, जानवी देखती है कि उसके द्वारा अपमान किए गए सभी राजकुमार और उसके पिता महाराज पृथ्वी सिंह भी उसी कमरे में हैं।

तब जानवी बोलती है, “मुझे माफ कर दीजिए, मैंने बहुत बड़ी गलती की है, मैं अपने घमंड के कारण सबका अपमान किया है।”

तब राजा विक्रम बीच में बोल उठते हैं की “राजकुमारी आपको आपकी गलती का एहसास हुआ यही बहुत बड़ी बात है। मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि मैं वही हूं जिससे आपकी शादी हुई थी। इतने दिनों से आप मेरे साथ ही रह रही थी और मैंने यह सब इसलिए किया ताकि आप यह समझ सके की घमंड दुनिया की सबसे बड़ी बुराई है।

ऐसा कहकर राजा विक्रम राजकुमारी को अपने साथ ले जाते हैं, और वह दोनों धूमधाम विधि विधान से पूरे राज्य के समक्ष विवाह कर लेते हैं। फिर खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगते हैं।

इस कहानी से हमें क्या सिख मिलती है?

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें हमेशा दूसरों के साथ सहानुभूति और समझदारी का व्यवहार करना चाहिए। हमें अपनी अपेक्षाओं और अहंकार को दूसरों के साथ नहीं ले जाना चाहिए, बल्कि हमें उनकी भावनाओं को समझने और मान्यता देने की क्षमता विकसित करनी चाहिए।

इससे हम एक संबलित और समर्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं, जो सामाजिक और नैतिक मूल्यों को महत्व देता है। अगर आपको हमारी यह कहानी “Rajkumari ki kahani” अच्छी लगी, तो आप हमें कमेंट में भी बता सकते हैं कि आपको और कौनसी कहानियां पढ़ना पसंद है। आप सभी से निवेदन है कि इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ साझा करें।

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अभिषेक प्रताप सिंह

अभिषेक प्रताप सिंह

राम-राम सभी को मेरा नाम अभिषेक प्रताप सिंह हैं, मैं मध्य प्रदेश का रहना वाला हूँ। हिन्दीअस्त्र पर मेरी भूमिका आप सभी तक ज्ञानवान और मजेदार आर्टिकल पहुंचाना है, ताकि आपको हर दिन नई जानकारी प्राप्त हो सके।

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