भारत में फांसी की सजा बेहद कम मामलों में ही दी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे अंजाम देने के लिए पूरे देश में सिर्फ दो ही जल्लाद हैं? इन्हें फांसी देने पर अलग से फीस भी मिलती है, मिसाल के तौर पर, इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी देने के लिए इन्हें 25,000 रुपये मिले थे. फांसी से जुड़े ऐसे ही रोचक और चौंकाने वाले तथ्यों को जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें…
- सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के मुताबिक, जिसे मौत की सजा दी जाती है, उसके रिश्तेदारों को कम से कम 15 दिन पहले खबर मिल जानी चाहिए ताकि वे आकर मिल सकें।
- फांसी की सजा पाए कैदियों के लिए फंदा जेल में ही सजा काट रहा है, जो कैदी खुद तैयार करता है। आपको अचरज हो सकता है, लेकिन अंग्रेजों के जमाने से ऐसी ही व्यवस्था चली आ रही है।
- देश के किसी भी कोने में फांसी देने की अगर नौबत आती है, तो फंदा सिर्फ बिहार की बक्सर जेल में ही तैयार होता है। इसकी वजह यह है कि वहां के कैदी इसे तैयार करने में माहिर माने जाते हैं।
- फांसी के फंदे की मोटाई को लेकर भी मापदंड तय है। फंदे की रस्सी डेढ़ इंच से ज्यादा मोटी रखने के निर्देश हैं। इसकी लंबाई भी तय है।
- फांसी के फंदे की कीमत बेहद कम है। दस साल पहले जब धनंजय को फांसी दी गई थी, तब यह 182 रुपए में जेल प्रशासन को उपलब्ध कराया गया था।
- भारत में फांसी देने के लिए बस 2 ही जल्लाद हैं। ये जल्लाद जिन राज्यों में रहते हैं, वहाँ की सरकार इन्हें 3,000 रूपए महीने के देती हैं और किसी को फांसी देने पर अलग से पैसे दिए जाते हैं। आतंकवादी संगठनों के सदस्यों को फांसी देने पर उनको मोटी फीस दी जाती है। जैसे इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी देने पर जल्लाद को 25,000 रुपए दिए गए थे।
- हमारे देश में दुर्लभतम मामलों में मौत की सजा दी जाती है। अदालत को अपने फैसले में ये लिखना पड़ता है कि मामले को दुर्लभतम क्यों माना गया?
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